अघोर चतुर्दशी के पावन पर्व पर परम पूज्य अघोराचार्य और बाबा कीनाराम जी की 425 वी जयंती के अवसर पर अघोर पीठ हरिश्चंद्र घाट काशी द्वारा विभिन्न अनुष्ठान का आयोजन किया गया। अघोर पीठ हरिशचंद्र घाट काशी के पीठाधीश्वर अवधूत चंडेश्वर कपाली कपाली बाबा से बात करने पर उन्होंने बताया कि आज यहां अनेको प्रकार के अनुष्ठान हो रहे है.
आज योगिनी चक्राअनुष्ठान हो रहा हैं योग का अर्थ होता है जोड़ने वाला जो शिव को जीव से जोड़े और जो जीव को शिव से जोड़े वही योगिनी चक्र है और इसके तहत भारत से ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से आए हुए साधक काशी के सबसे पुरातन अघोर पीठ जहां सारे महापुरुषों ने अपनी साधना की. ऐसी जगह पर सब उपस्थित होते हैं और उन पुण्य आत्माओं का आशीर्वाद भी सबको मिलता है और अपने विकारों से मुक्त होकर मूल स्वरूप में होने की जो प्रक्रिया है यही योगिनी चक्रानुष्ठान है जिसमे सभी साधक सम्मिलित होते हैं । सारे मोह जाल से मुक्त होकर लोक कल्याण के लिए कार्य करना ही इस अनुष्ठान का उद्देश्य है।