बीएचयू हिंदी विभाग में डॉ. लहरी राम मीणा की पुस्तक का हुआ लोकार्पण

विगत तीन दिनों से हिंदी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पुस्तक लोकार्पण एवं परिचर्चा का समारोह चल रहा है। इसी क्रम में आचार्य रामचंद्र शुक्ल सभागार, हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं वाणी प्रकाशन समूह के संयुक्त तत्वावधान में प्रसिद्ध युवा कवि, आलोचक एवं रंगचिंतक डॉ. लहरी राम मीणा की नवीनतम आलोचना पुस्तक ‘सृजन के विविध रूप और आलोचना’ का लोकार्पण करते हुए इस पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के परंपरानुसार महामना मदनमोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात् अपराजिता, आस्था, सगुन और पल्लवी द्वारा कुलगीत ‘मधुर मनोहर अतीव सुंदर, यह सर्वविद्या की राजधानी’ का गायन किया गया।

अध्यक्षता कर रहें हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप ने इस पुस्तक में संजोए गए लेखों के मर्म को स्पष्ट करते हुए कहा कि जब कोई सत्य कहता है तब वह आंखों में आँखें डालकर बात करता है और जब झूठ बोलता है तब उसकी आँखें भी उसका साथ नहीं देती हैं, लेखक ने ‘साहित्य का मर्म’ निबंध में साहित्य के शाश्वत तत्वों की चर्चा की है। इन्होंने इस निबंध को आचार्य मम्मट से जोड़कर भी देखा।परिचर्चा का संचालन कर रहे सहायक आचार्य डॉ. सत्यप्रकाश सिंह ने बताया कि यह पुस्तक किसी एक समय एवं एक मनःस्थिति में नहीं लिखी गई है बल्कि अलग-अलग वातावरण एवं परिस्थितियों में लिखे गए लेखों एवं निबंधों का संकलन है।धन्यवाद ज्ञापन स्वयं पुस्तक के लेखक डॉ. लहरी राम मीणा ने किया।इस कार्यक्रम की संपूर्ण रिपोर्ट , बीएचयू, हिंदी विभाग की शोध छात्रा कु. रोशनी उर्फ धीरा ने किया।परिचर्चा में प्रो. कृष्णमोहन सिंह, प्रो. नीरज खरे, डॉ. अशोक कुमार ज्योति, डॉ. प्रभात कुमार मिश्र, डॉ. विंध्याचल यादव, डॉ. नीलम कुमारी सहित पर्याप्त संख्या में विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों की उपस्थिति रही।






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