उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज द्वारा आयोजित काशी नाट्य उत्सव के चौथे और अंतिम दिन श्री नागरी नाटक मंडली प्रेक्षागृह में संतोष चौबे द्वारा लिखित नाटक 'गरीब नवाज़ का मंचन हुआ। नई दिल्ली की नाट्य संस्था 'संभव' के कलाकारों दवारा डॉ. देवेंद्र राज अंकुर के निर्देशन में प्रस्तुति दी। विश्वमोहन अमेरिका से वापस लौटकर भारत में एक बी पी ओ. कम्पनी बनाता है। शहर में एक सुन्दर और भव्य ऑफिस का निर्माण करता है। जल्द ही उसकी गिनती सफल प्रोफेशनल्स में होने लगती है। कुछ दिन बाद ही रियाज नाम का आदमी उसके इस शानदार ऑफिस के पड़ोस में 'गरीब नवाज़ चिकन शॉप" नाम से एक गुमटी खोल देता है। विश्वमोहन को लगने लगता है कि खुले में चिकन शॉप न हो. क्योंकि उसके द्वारा पैदा की गई गंदगी को डिस्पोज ऑफ करने की ठीक व्यवस्था नहीं है. इससे वातावरण प्रदूषित होगा। वे इस समस्या को देश के विकास की समस्या से जोड़कर देखने लगते हैं। इससे विश्वमोहन को कोफ़्त होने लगता है। शाकाहारी विश्वमोहन इस गुमटी को हटवाने का प्रयास कर ही रहा होता है कि बगल में नारायण भोजनालय भी बन जाता है। जब विश्वमोहन इन दोनों को हटाने की बात करता है तो इसके उलट शहर में राजनीति होने लगती है।
पुलिस, प्रशासन, न्यायपालिका और समाज चारों ओर से विश्वमोहन पर ही प्रहार होने लगता है।वे जब इसकी शिकायत थाने में करता है तो उससे चिढ़कर गरीब नवाज़ चिकन शॉप का मालिक रियाज विश्वमोहन पर कोर्ट में यह कह कर रपट लिखबा देता है कि विश्वमोहन ने उसके गुमटी में लूटपाट की है। कोर्ट विश्वमोहन को शहर में सम्भावित दंगा फैलाने का आरोप लगा देता है। हार कर विश्वमोहन को अपने समाज से ही वितृष्णा होने लगती है। यह कहानी कॉर्परेट वर्ल्ड की होते हुए भी आज के भारतीय समाज की मानशिकता पर कुठाराघात करती है। फिर चाहे वो सरकारी संपति पर गैरकानूनी तरीके से कब्जा करना हो या रोजी रोटी की आधारभूत समस्या को एक साम्प्रदायिक रंग देना हो।मंच पर अमित सक्सेना, प्रकाश झा, अमिताभ श्रीवास्तव, हरिकेश मौर्य, और निधि मिश्रा ने प्रभावपूर्ण अभिनय किया। संगीत चयन एव संचालन कृतार्थ ने और प्रकाश दिव्यांग ने की। परिकल्पना एवं निर्देशन डॉ. देवेन्द्र राज अंकुर का था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा, विभागाध्यक्ष, ललितकला विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, विशिष्ट अतिथि प्रवीण गुंजन, केंद्र निदेशक, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, वाराणसी केंद्र, विशिष्ट अतिथि अर्पित शिधोरे, वरिष्ठ रंगकर्मी रहे ।