मंगलवार से पंच दिवसीय प्रकाश का महापर्व प्रारम्भ हो रहा है।धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, भाई दूज के पर्व का उत्साह जोरों पर हैं।पावन कार्तिक माह पर्यंत गंगा स्नान का विशेष महत्व है। गंगा निर्मलीकरण के लिए प्रयासरत स्वयंसेवी संस्था नमामि गंगे गंगा विचार मंच के ज़िला संयोजक शिवम अग्रहरि ने खास अपील की है।
सोमवार को प्रह्लाद घाट पर गंगास्नान के दौरान शिवम और उनके सहयोगियों ने मूर्तियां, शीशा फ्रेम लगी देवी देवताओं की तस्वीरें, पॉलीथिन आदि सामग्रियां निकालकर आमजन से आह्वान किया हैं कि ऐसा कदापि न करें।स्नानर्थियों को जागरूक करते हुऐ कहा कि मां गंगा का सुरम्य तट और नयनाभिय ममनोरम दृश्य हर किसी को आह्लादित करने वाला है।परंतु कुछ चीजें हमे गंगातट पर शोभा नही देतीं।इनमे गंगा के आंचल व किनारे पड़ी पूजन के बाद फेंकी गई सामग्रियों में विशेषकर हमारे धार्मिक ग्रंथ, मूर्तियां आदि शामिल हैं।
मूर्तियों जल में घुलनशील न होने के कारण वहीं पड़े रहते हैं।इनमे प्रयोग की जाने वाली केमिकल युक्त पेंट जो गंगा व जलीय जीवों के लिए हानिकारक तो हैं ही साथ ही लोहे की तीलियां शीशा आदि जो स्नानार्थियों को चोट पहुंचाते हैं।इस दौरान केवल कुशवाहा, रीतेश कुशवाहा, टोनी कुशवाहा, समृद्ध आदि थे।