बनारस रेल इंजन कारखाना (बीएलडब्ल्यू) में अब परिसर से निकलने वाले जैविक कचरे का पुनः उपयोग करते हुए पर्यावरण के अनुकूल जैविक खाद बनाने की अभिनव प्रक्रिया शुरू की गई है। महाप्रबंधक एस. के. श्रीवास्तव ने फीता काटकर इस परियोजना का उद्घाटन किया, जिससे परिसर में हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करने और जलवायु संतुलन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
बरेका परिसर में एकत्रित सूखे पत्ते, कटी झाड़ियां, और अन्य जैविक अपशिष्टों को इस प्रक्रिया में बारीकी से छांटकर काटा जाएगा, फिर इसमें माइक्रोबियल कल्चर, नैनो कैटलिस्ट और आवश्यक पोषक तत्व मिलाए जाएंगे। इन तत्वों को मिलाकर जैविक अपशिष्ट को 4x10x4.5 के छह विशेष बेड्स में डालकर ढंक दिया जाएगा, जहां ऑटोमैटिक सेंसर द्वारा तापमान नियंत्रित किया जाएगा। इस प्रक्रिया में माइक्रोब और नैनो कैटलिस्ट एक महीने के भीतर जैविक अपशिष्ट को मूल्यवान जैविक खाद में परिवर्तित कर देंगे।
महाप्रबंधक श्रीवास्तव ने कहा, "यह परियोजना हमारे परिसर में हानिकारक कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों के उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम है।"
इस परियोजना से न केवल बरेका को उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद उपलब्ध होगी, बल्कि यह प्रयास जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने में भी सहायक होगा। परिसर के अधिकारियों, कर्मचारियों और पर्यावरण प्रेमियों ने इस पहल का स्वागत किया और इसे एक सकारात्मक कदम बताया जो बरेका को हरित और स्वच्छता की दिशा में एक नई पहचान देगा।
इस अवसर पर बरेका के प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर सुब्रत नाथ, प्रधान वित्त सलाहकार नीरज वर्मा, प्रमुख मुख्य इंजीनियर विनोद कुमार शुक्ला, उप मुख्य इंजीनियर साकेत, सहायक इंजीनियर अमित कुमार,
जन संपर्क अधिकारी राजेश कुमार सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारीगण एवं पर्यावरण प्रेमी उपस्थित थे, जिन्होंने इस पहल की सराहना की और इसे सफल बनाने का संकल्प लिया।