काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शताब्दी भवन के सभागार में हिंदी राष्ट्रवादी कवियों की साहित्यिक सामाजिक विरासत सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के संदर्भ में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉक्टर सत्य प्रकाश सिंह ने बताया की संगोष्ठी हिंदी राष्ट्रवादी कवियों की यह संगोष्ठी हिंदी राष्ट्रवादी कवियों की साहित्यिक सामाजिक विरासत सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के संदर्भ में इस विषय पर केंद्रित है और इस गोष्ठी में भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को किस तरीके से साहित्य में विभक्ति मिली है और सामाजिक सांस्कृतिक पक्ष किस तरीके से साहित्य के साथ जुड़कर होते रहे उसे विषय पर केंद्रित विशेष तौर पर उन कवियों को केंद्र में रखकर संगोष्ठी रखी गई है ।
उन्हें स्वाधीनता आंदोलन में राष्ट्रीय गौरव संस्कृत स्वाभिमान और राष्ट्रीय स्वाधीनता को लेकर के अपने काव्य का आकार निर्मित किया और इसके इर्द गिर्द साहित्य को केंद्रित किया है इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति हिंदी कविता में किस तरह के प्रतिबद्धता रही है राष्ट्रीय गौरव और भारत और राष्ट्र के प्रति किस तरीके की प्रतिबद्धता हिंदी कविता में रही है उसे लोगों को रूबरू कराना लोगों को जागरूक करना कि हिंदी कविता राष्ट्र समाज संस्कृत इन सबके गौरव और स्वाभिमान के लिए प्रतिबद्ध कविता रही है।