काशी हिंदू विश्वविद्यालय वर्तमान प्रशासन के कार्यकाल में नियुक्तियों में गंभीर अनियमितताएं और जातिगत भेदभाव के सबूत के साथ पूर्व विभागाध्यक्ष, हृदय रोग विभाग, बीएचयू डॉ. ओम शंकर ने मीडिया से बातचीत की। डॉ ओम शंकर ने कहा कि बीएचयू के वर्तमान कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन के कार्यकाल में नियुक्तियों में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। इन अनियमितताओं ने न केवल यूजीसी के मानकों और कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है, बल्कि जातिगत भेदभाव और पक्षपात की एक व्यवस्थित प्रणाली को भी उजागर किया है।कुलपति ने बीएचयू अधिनियम के क्लॉज 7(c)5 के तहत आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए नियमित और गैर-आपातकालीन नियुक्तियों को उचित ठहराया है। ये नियुक्तियां राष्ट्रपति (बीएचयू के विजिटर) के द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से जारी आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन करती हैं।
कुलपति ने भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर को प्रदर्शित करने की अनिवार्यता का पालन नहीं किया, जो यूजीसी दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। इस चूक ने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के योग्य उम्मीदवारों को हाशिए पर डालने के लिए जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दिया है। उनके विवादास्पद "नॉट फाउंड सुटेबल (योग्य नहीं पाया गया) नीति का उपयोग विशेष रूप से वंचित वर्गों के उम्मीदवारों को अवसरों से वंचित करने के लिए किया गया है। हृदय रोग विभाग में 75% से अधिक शिक्षकों के पद जानबूझकर खाली रखे गए हैं, जिससे मरीजों को महत्वपूर्ण सेवाओं से वंचित किया गया है और योग्य उम्मीदवारों के अवसरों को रोका गया है। कुलपति ने व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए भर्ती प्रक्रिया में हेरफेर करते हुए वैधानिक नियमों की अनदेखी की है।
कुलपति ने कार्यकारी परिषद (Executive Council) की स्वीकृति की आवश्यकता को दरकिनार करने के लिए "आपातकालीन" प्रावधानों के तहत नियमित नियुक्तियों को उचित ठहराने के लिए फर्जी आपात स्थितियों का निर्माण किया है। ये कार्य बीएचयू के कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन हैं और संस्थान के प्रशासन को कमजोर करते हैं। प्रो. सुधीर कुमार जैन की इन कार्रवाइयों ने बीएचयू की शैक्षणिक साख और प्रतिष्ठा को गहरी क्षति पहुंचाई है। इन उल्लघनों की तत्काल जांच और सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है।