मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी, काशी के सभी घाटों पर भक्तों की रही भारी भीड़

मौनी अमावस्या पर्व पर श्रद्धालुओं ने काशी के घाटों पर पहुंच कर गंगा में डुबकी लगाई और दान पुण्य किया। काशी के दशाश्वमेध, शीतला घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट अस्सी घाट तुलसी घाट सहित समस्त घाटों पर भोर से ही भारी भीड़ उमड़ पड़ी भीड़ को देखते हुए प्रशासन सहित सामाजिक संगठनों के लोगो ने सुरक्षा व्यवस्था संभाली लोगों को दर्शन पूजन कराने में मदद गार बने दूर दराज से आए लोगों ने मां गंगा को नमन करते हुए डुबकी लगाया और दान पुण्य किया।

नाविक समाज और जल पुलिस बराबर चक्रमण कर मौके पर डटे रहे घाट के पुरोहित पण्डित बासुदेव और पण्डित सत्यनारायण मिश्रा ने इस पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया उन्होंने कहा प्रयाग राज से या कही से श्रद्धालु स्नान पूजन कर ले लेकिन काशी में आना अतिआवश्यक है तभी यह श्रद्धालु पुण्य के भागी होंगे इसी लिए काशी में आकर दान स्नान कर भारी भीड़ के साथ लोग काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच कर दर्शन पूजन कर रहे है ।

मौनी अमावस्या के अवसर पर काशी के सभी प्रमुख घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा है। बुधवार की भोर से ही भक्तों द्वारा स्नान, दान का सिलसिला जारी है। सुबह से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई है। स्नान-दान और अनुष्ठान के बाद लोग बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए निकले। ज्योतिष के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या पर चार योग बने हैं। जबकि श्रवण नक्षत्र भी है। मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध के एक साथ होने से त्रिग्रही योग बना है। ज्योतिष में इस योग को बहुत ही शुभमाना जाता है। ऐसे में आज शिववास, सिद्धि, वृषभ गुरु और वज्र योग बना है। इस योग में काशी में स्नान, दान करने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है। वही एस पी त्रिपाठी जो विवेकनगर निवासी है से बात करने पर उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या पर मान्यतानुसार पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इसी कारण श्रद्धालु एक महीने तक कुटी बनाकर गंगा स्नान और ध्यान करते हैं। इस मास में संगम स्नान युगों से अनंत पुण्यदायी होता है। इस तिथि को पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए। इस दिन तिल दान भी उत्तम कहा गया है। इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है अर्थात मौन अमवस्या। चूंकि इस व्रत में व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है।




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