महाकवि जयशंकर प्रसाद के साहित्य पर आधारित 40 दिवसीय नाट्य कार्यशाला का हुआ उद्घाटन

भारतीय साहित्य और संस्कृति के उत्थान के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, महाकवि जयशंकर प्रसाद ट्रस्ट, संपूर्णानंद संस्कृत विश्ववि‌द्यालय, एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से महाकवि जयशंकर प्रसाद के साहित्य पर आधारित 40 दिवसीय नाट्य कार्यशाला का भव्य उद्घाटन किया। यह कार्यशाला संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केंद्र में आयोजित हो रही है, जहां विभिन्न राज्यों से आए 50 प्रतिभागी कलाकार जयशंकर प्रसाद की महान कृतियों का अध्ययन और मंचन करेंगे।

कार्यक्रम के उ‌द्घाटन समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकारों और वि‌द्वानों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान की। संपूर्णानंद संस्कृत विश्ववि‌द्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा, कुलसचिव राकेश कुमार (IAS), राष्ट्रीय नाट्य वि‌द्यालय वाराणसी केंद्र के निदेशक प्रवीण कुमार गुंजन, सह-निदेशक गुंजन शुक्ला, भारतेंदु नाट्य अकादमी परिषद के सदस्य दिनेश कुमार श्रीवास्तव, नाट्य गुरु प्रोफेसर गौतम चैटर्जी, जैसी सम्मानित हस्तियों ने अपने उपस्थिति से इस कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की।


कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और गणेश वंदना से हुआ, जिसके बाद कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने अपने उ‌द्घाटन भाषण में आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने नाट्यकला को संप्रेषण का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम बताया और कहा कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस परंपरा का केंद्र है। उन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं न केवल कलाकारों को सृजनात्मकता की दिशा में प्रेरित करती हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता नाट्य गुरु प्रोफेसर गौतम चैटर्जी ने अपने संबोधन में नाट्यशास्त्र की महानता पर प्रकाश डाला। 

कार्यक्रम के दौरान भारत के विभिन्न राज्यों से आए हुए प्रतिभागी कलाकारों ने अपने अभिनय कौशल का प्रदर्शन किया। प्रतिभागियों का चयन उनके अभिनय कौशल, नाट्य शास्त्र के ज्ञान, और उनके प्रस्तुतीकरण की योग्यता के आधार पर किया गया। अगले दो दिनों में चयन प्रक्रिया पूरी की जाएगी, जिसके बाद प्रतिभागी कलाकार जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध नाट्यकृति 'जन्मेजय का नाग-यज्ञ का मंचन तैयार करेंगे। यह नाटक भारतीय इतिहास और संस्कृति को दर्शाने वाली प्रसाद की महान कृतियों में से एक है, जो दर्शकों को भारतीय मिथकों और ऐतिहासिक घटनाओं से परिचित कराएगा।

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