उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात ने महिला उत्पीड़न और संबंधित मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि वे लगातार पुलिस प्रशासन से इस मुद्दे पर न्याय की मांग कर रही हैं और इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं। नीलम प्रभात ने कहा कि महिला उत्पीड़न के मामलों में जांच की प्रक्रिया में कई बार ढिलाई होती है, जिसके कारण पीड़िता को न्याय नहीं मिल पाता।उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य नीलम प्रभात ने बताया कि उन्होंने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर कुछ गंभीर मुद्दों पर प्रकाश डाला है।
उनका कहना है कि यदि हम "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" अभियान को गंभीरता से लागू करना चाहते हैं तो प्रशासन की भूमिका और जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर मामले की ठीक से जांच नहीं होती है और महिला को न्याय नहीं मिलता तो ऐसे अभियान केवल कागजी साबित होंगे।नीलम प्रभात ने महिला उत्पीड़न के मामलों की जांच में पुलिस द्वारा लापरवाही की भी बात की। उन्होंने कहा कि कई बार जांच के दौरान पुलिस की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलते और पीड़िता से गुमनाम परिस्थितियों में बयान लिए जाते हैं। इसके अलावा, कई बार महिला के खिलाफ भी गलत तरीके से बयान दर्ज किए जाते हैं, जिससे न्याय मिलने में देरी होती है।उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन की ओर से अगर मामले में कोई सुधार नहीं किया गया तो उनकी लड़ाई जारी रहेगी। नीलम प्रभात ने पुलिस कमिश्नर और आयुक्त से समय मांगा है ताकि वे महिला उत्पीड़न के मामलों में प्रभावी कदम उठाने की दिशा में बैठक कर सकें।नीलम प्रभात ने यह भी बताया कि वे कई मामलों पर ध्यान दे रही हैं, जहां महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है। उन्होंने कहा कि महिला आयोग और पुलिस प्रशासन को मिलकर इन मामलों पर काम करना होगा ताकि न्याय दिलाया जा सके।उन्होंने यह भी साफ किया कि जनसुनवाई का उद्देश्य महिलाओं को न्याय दिलाना है और यह बेकार नहीं होने पाए। उनके अनुसार, मामले को सही तरीके से हल करना और कार्रवाई में तेजी लाना ही महिलाओं के संघर्ष को खत्म करने का तरीका है।इस दौरान नीलम प्रभात ने अधिकारियों से यह अपील भी की कि वे महिला उत्पीड़न के मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करें, ताकि पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।