शब ए बरात नगर के हर कब्रिस्तानों व दरगाहों पर मनाया गया। नगर के मजार कब्रिस्तानों को विद्युत झालरों से आकर्षक ढंग से सजाया गया । शब-ए-बारात को इस्लाम धर्म में प्रायश्चित की रात माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह वह रात है जब अल्लाह आने वाले वर्ष के लिए व्यक्तियों की नियति निर्धारित करते हैं और ईमानदारी से पश्चाताप करने वालों के पापों को माफ कर देते हैं।
आज के दिन जितने भी लोग गुजरे होते है उनकी रूहे अपने अपने घर आती है जो रूहे आती है वो तभी खुश होकर जाती है जब उनका परिवार इबादत करता है कब्रिस्तानों पर पूर्वजों के मजार पर माला फूल चढ़ाता है तब वह खुश होते है सभी मजारों पर देर रात तक चादर चढ़ाया बेनिया बाग स्थित रहीम शाह बाबा के मजार पर भी लोगो ने चादर चढ़ाया और देर रात तक दुवा ख्वानी की। कब्रिस्तानों को सजाया गया माला फूल अगरबत्ती चढ़ाया और अपने गुनाहों की माफी की दुवाएं किए इस अवसर पर बाबा रहीम शाह गद्दी नसीर मोहम्मद सैफ रहीमी ने इस इबादत की रात के महत्व को विस्तार से बताया।