भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा, वाराणसी जिला और महानगर के द्वारा मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें मोर्चा के प्रदेश महामंत्री इ. विद्या भूषण गोंड मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहें। यह पत्रकार वार्ता वाराणसी सदर तहसील में कार्यरत लेखपाल सुमित कुमार पाण्डेय द्वारा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों के बारे में अभद्र टिप्पणी के विषय में रखी गयी। प्रकरण को विस्तार से बताते हुये प्रदेश महामंत्री इ. विद्या भूषण गोंड ने बताया कि भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा, वाराणसी जिला के महामंत्री अरुण कुमार गोंड द्वारा पूर्व में बने अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र के नवीनीकरण हेतु आवेदन किया गया था, जिसके आलोक में क्षेत्रीय लेखपाल सुमित कुमार पाण्डेय ने पहले तो 25000 रुपये रिश्वत के रूप में मांगा और ना देने पर भारत के राजपत्र और उत्तर प्रदेश शासन के आदेशों की अवहेलना करते हुये तहसीलदार वाराणसी सदर को गलत जाँच प्रेषित की जिसके कारण उनका आवेदन तहसीलदार द्वारा निरस्त कर दिया गया। अरुण कुमार ने जब इस विषय पर लेखपाल से बात किया तो उसने अपमानजनक टिप्पणी की।
इ. विद्या भूषण ने आगे कहा कि वाराणसी के सभी तहसीलों में एक सिंडीकेट बनाकर प्रमाण पत्र बनाने के लिए रिश्वत ली जा रही है। पूर्व के तहसीलदारों शलिनी सिंह और योगेंद्र शरण शाह के समय यह सिंडीकेट सक्रिय था, जिसमें तहसील सदर के लिपिक मुश्ताक की अहम भूमिका है। इनके भ्रष्टाचार के बारे में कई बार मेरे द्वारा तहसीलदारों और उप-जिलाधिकारियों से शिकायत किया गया परंतु कभी कोई कार्यवाही नहीं हुआ। इनका सिंडीकेट इस प्रकार जड़ व मनबढ़ है कि उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेशों के अनुरूप साक्ष्यों को देने के उपरांत और लेखपालों की स्थलीय जांच आख्या सकरात्मक होने के बाद भी वर्षों तक आवेदन तहसील में पड़े रहते थे, और जब रिश्वत की रकम वसूल कर ली जाती थी तब जाकर प्रमाण पत्र निर्गत होते थे। और यही प्रक्रिया आज भी चल रही है। उन्होंने वाराणसी सदर तहसील के लेखपाल सुमित कुमार पाण्डेय व लिपिक मुश्ताक को तत्काल निलंबित कर निष्पक्ष रूप से जाँच की मांग की।