चैत्र नवरात्र का पावन पर्व चल रहा है ऐसे में दर्शन पूजन और विविध अनुष्ठान किए जा रहे है चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि पर मान्यता के अनुसार मां के गौरी स्वरूप में कर्ण घंटा स्थित मंदिर में विराजमान ज्येष्ठा गौरी पूजी गई ।
भोर से ही श्रद्धालु माता के दरबार में फल,फूल,नारियल,चुनरी लेकर जय जय कार के बीच पहुंच कर मत्था टेका और सुख समृद्धि की कामना की। मंदिर के पुजारी राम कुमार दुबे ने बताया कि माता बड़ी दयालु है सभी की मुरादे मां पूर्ण करती है पूरा मंदिर परिसर माता की जयकारे से गूंजता रहा ।
इसी कड़ी में नवरात्र के दूसरे दिन मां भगवती के दुर्गा स्वरूप में माता ब्रह्मचारिणी देवी के दर्शन पूजन का विधान है। काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर है मंगला आरती के बाद से ही भक्तों के लिए मां का दरबार खोल दिया जाता है और भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है| मान्याता है कि आज के दिन ब्रह्मचारिणी देवी के दर्शन से परब्रह्म की प्राप्ति होती है| ब्रह्मचारिणी की दाहिने हाथ में जप की माला और बायें हाथ में कमंडल रहता है| मां का यह रूप वास्तव में बेहद खूबसूरत है|काशी में मौजूद ब्रह्मचारिणी मंदिर में न सिर्फ स्थानीय लोग दर्शन के लिए आते हैं बल्कि अन्य जिलों से भी भक्त दर्शन एवं पूजन के लिए आते हैं|
नवरात्रि शुरू होते ही इस मंदिर में लाखों भक्त मां के दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां के इस रूप का दर्शन करने वालों को संतान सुख मिलता है| मां अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती हैं।पुजारी के अनुसार माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। भगवती पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। कहते हैं माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सर्वसिद्धि की प्राप्ति होती है। ब्रह्मचारिणी के रूप का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए।