उत्तर प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराज़गी जताई है और इस प्रकार की कार्रवाइयों को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति का घर केवल इस आधार पर नहीं गिराया जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में आरोपी या दोषी है। न्यायपालिका ने कहा कि घर केवल एक संपत्ति नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है ¹।
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- *15 दिन की पूर्व सूचना*: ध्वस्तीकरण से पहले संबंधित पक्ष को कम से कम 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य होगा।
- *नोडल अधिकारी की नियुक्ति*: हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो सुनिश्चित करेगा कि नोटिस समय पर मिले और संबंधित पक्ष को जवाब देने का उचित अवसर प्रदान किया जाए।
- *निर्देशों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई*: यदि इन निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ये निर्देश उन मामलों में लागू नहीं होंगे, जहां अनाधिकृत संरचनाएं सार्वजनिक सड़क, रेलवे लाइन, या जल निकायों पर बनाई गई हैं। ऐसे मामलों में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी रहेगी।