सामूहिक दुष्कर्म मामले में जेल में बंद दोषियों के परिजनो का हंगामा, दोषियों को बेगुनाह बताते हुए रिहा करने की मांग

जिले में हाल ही में हुई सामूहिक बलात्कार की सनसनीखेज घटना के बाद अब मामला एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। इस केस में 23 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिनमें से 14 युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। लेकिन अब इन गिरफ्तार युवकों के परिजन आक्रोशित हैं और उन्हें बेगुनाह बताते हुए सड़कों पर उतर आए हैं। परिजन पीएम के संसदीय कार्यालय में पत्रक सौंपने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। परिजनों ने चेताया कि यदि न्याय नहीं मिला तो आंदोलन के लिए विवश होंगे। पूरे मामले को लेकर पहले परिजनों ने पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की थी। उनकी मांग थी कि जिन युवकों को बिना पुख्ता सबूतों के गिरफ्तार किया गया है, उन्हें जल्द रिहा किया जाए। पुलिस कमिश्नर ने आश्वासन देते हुए इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन कर दिया था।

इसी क्रम में मंगलवार को बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय में ज्ञापन देने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गुरुधाम चौराहा पर ही रोक लिया। उनका आरोप है कि पुलिस ने बिना ठोस जांच के निर्दोष युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। कहा कि उन्हें न्याय चाहिए, न कि किसी निर्दोष का जीवन बर्बाद होता देखना। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले की सच्चाई बताना जरूरी है, ताकि निर्दोषों को इंसाफ मिल सके। एक अहम मोड़ तब आया जब पीड़िता की एक सहेली, जिसका नाम भी इस मामले में लिया गया था, खुद संसदीय कार्यालय पहुंची। उसने मीडिया से बात करते हुए पूरी घटना को संदिग्ध बताया और कहा कि कुछ लोग साजिश के तहत युवकों को फंसा रहे हैं। इस घटना को लेकर खुद काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वाराणसी दौरे के दौरान पुलिस कमिश्नर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से जानकारी ली थी। अब पूरे मामले की सीसीटीवी फुटेज और एसआईटी जांच के जरिए गहराई से छानबीन की जा रही है। 

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