चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन गौरी के स्वरूप में माता सौभाग्य गौरी पूजी गई । बासफाक स्थित सत्यनारायण मन्दिर प्रांगण में स्थापित माता की अलौकिक झांकी सजाई गई भोर से ही बड़ी संख्या में पहुंचे भक्तों ने जय जय कार के उद्घोष के साथ मां का दर्शन पूजन किया ।
ऐसी मान्यता है कि माता के दर्शन पूजन करने से कुंवारी कन्याओं को वर अच्छा मिलता है परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है ।शास्त्रों में मां गौरी के इस स्वरूप के दर्शन और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। गृहस्थ आश्रम में महिलाओं के सुख-समृद्धि की अधिष्ठात्री मानी जाने वाली गौरी से महिलाएं संतान सुख और पति के कल्याण की कामना करती हैं।
इसी कड़ी में शक्ति की आराधना के महापर्व नवरात्र के तीसरे दिन माता के दुर्गा स्वरूप में माता चंद्रघंटा के दर्शन-पूजन का विधान है. काशी के चौक क्षेत्र में माता का अति प्राचीन मंदिर विद्यमान है. यहां अलसुबह मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर रहे हैं. गुड़हल व बेला के फूलों से माता का भव्य श्रृंगार किया गया है. इससे पहले भोर में तीन बजे से ही माता के दरबार में श्रद्धालुओं की कतारें लगी है भोर की आरती व श्रृंगार के बाद दर्शन के लिए पट खुला तो पूरा इलाका माता के जयकारे व हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंजने लगा.
मंदिर के पुजारी वैभव नाथ योगेश्वर ने बताया कि माता चंद्रघंटा धन, ऐश्वर्य, शक्ति व मोक्ष की देवी हैं. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है. इनकी कृपा से भक्त सभी सांसारिक सुख प्राप्त करता है. इतना ही नहीं मृत्यु के पश्चात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. देवी चंद्रघंटा की भक्ति से आध्यात्मिक व आत्मिक शक्ति मिलती है. उन्होंने बताया कि माता चंद्रघंटा की दस भुजाओं में अस्त्र-शास्त्र सुशोभित हैं. मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विद्यमान है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता हैं. लिंग पुराण के अनुसार माता चंद्रघंटा ही काशी की रक्षा करती हैं. नवरात्र में देवी के पूजन-दर्शन मात्र से शत्रुओं का नाश होता है. देवी सभी तरह के भय व बाधा से मुक्ति दिलाती हैं।