सिविल सेवा नियमावली संशोधन के विरोध में पेंशनरों का धरना, आठवें वेतन आयोग के लाभों की मांग

30प्र0 सेवा निवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन, शाखा-वाराणसी तथा शिक्षक महासंघ के संयुक्त बैनर तले आज शास्त्री घाट, वरुणापुल, कचहरी के समीप धरना-प्रदर्शन  किया गया। पेंशनरों ने सिविल सेवा नियमावली में हाल ही में हुए संशोधन को वापस लेने और सभी पेंशनरों को आठवें वेतन आयोग के लाभों की परिधि में लाने की पुरजोर मांग की।धरने में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने 25 मार्च 2025 को संसद में पारित वित्त विधेयक के माध्यम से सिविल सेवा नियमावली में ऐसा संशोधन कर दिया है, जिससे 1 जनवरी 2026 से पहले सेवा निवृत्त होने वाले पेंशनरों को वेतन आयोग के लाभों से वंचित कर दिया जाएगा। पेंशनरों ने इसे भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण करार देते हुए कहा कि सरकार की यह मंशा स्पष्ट करती है कि वह पेंशनरों को भार मानती है।

वक्ताओं ने उच्चतम न्यायालय के उस ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पेंशन कोई दया या कृपा नहीं बल्कि अधिकार है, जिसे किसी भी सूरत में छीना नहीं जा सकता।प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा पेंशनरों के लिए अभी तक महंगाई राहत का आदेश जारी नहीं किया गया है, जबकि कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का आदेश पहले ही जारी हो चुका है। उन्होंने इसे पेंशनरों के साथ अन्याय और उपेक्षा बताते हुए तत्काल महंगाई राहत का आदेश जारी करने की मांग की।इसके अलावा धरने में पेंशनरों की कम्युटेशन कटौती 10 वर्षों के बाद समाप्त करने की भी पुरजोर मांग उठी।न वक्ताओं ने बताया कि इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश भी प्राप्त हुआ है, जिसके बावजूद कुछ पेंशनरों की कटौती रोक दी गई है और शेष की जारी रखी जा रही है। इसे पेंशनरों के साथ भेदभाव बताते हुए सरकार से न्यायसंगत समाधान की मांग की गई। 

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