शास्त्रार्थ महाविद्यालय में सात दिवसीय ज्योतिष कार्यशाला का हुआ शुभारंभ

हस्तरेखा ज्योतिष का अभिन्न भाग है। हथेली की रेखाओं और आकृतियों का अध्ययन करके भविष्य की भविष्यवाणी करना आसान है। ये एक अति प्राचीन विधि है। उक्त बातें दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय में सात दिवसीय ज्योतिष कार्यशाला के शुभारम्भ पर राष्ट्रपति पुरस्कृत पूर्व प्राचार्य डा.गणेश दत्त शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा की हस्तरेखा से भविष्य का बोध भी होता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में काशी पण्डित सभा के मन्त्री डा. विनोद राव पाठक ने बताया की हस्तरेखा एक विज्ञान है जो ज्योतिषशास्त्र का एक अभिन्न हिस्सा है। अध्यक्षता करते हुए व्याकरणशास्त्र के आचार्य डा. शेषनारायण मिश्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि भाग्य,सफलता,प्रेम,विवाह और संतान आदि माध्यम ज्योतिष में भी निहित है जो हाथों की रेखाओं से सरलता से ज्ञात किया जा सकता है।

शिविर संचालक ज्योतिर्विद आचार्य संजय उपाध्याय ने हस्तरेखा के विभिन्न भागों को बतलायाकार्यक्रम संयोजक संस्था के प्राचार्य डा. पवन कुमार शुक्ला ने बोला की हस्तरेखा ज्योतिष एक जटिल विज्ञान है और इसके अध्ययन के लिए अनुभव और ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसी उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इसमें केवल छात्र ही नहीं अपितु गृहस्थी से जुड़े महिला व पुरुष शामिल हौ रहे हैं।अन्य उपस्थित विशेष लोगों में डा. सारनाथ पाण्डेय,विकास दीक्षित, अशोक कुमार,डा. अमोद दत्त शास्त्री आदि रहे।


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