संकट मोचन दरबार में संकट मोचन संगीत समारोह का शुभारंभ हुआ।समारोह की पहली धुन लेकर संगीत समारोह के मंच पर आए पद्मविभूषण 87 वर्षीय पं. हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी के साथ संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा ने पखावज बजाकर भक्ति रस जगा दिया। 102वें साल के छह दिवसीय संकट मोचन संगीत समारोह का आह्वान हो गया। महावीर के दरबार में सबसे पहले बांसुरी पर राग विहाग गूंजा तो परिसर भर में फैले भक्तों का जमघट आंगन में लग गया।
प्रस्तुति के दौरान पं. हरि प्रसाद ने तीन बार बांसुरी भी बदली। उनके होठों के कंपन भी सुर बन जा रहे थे। अंत में ओम जय जगदीश हरे... की धुन बजाई तो विदेशी श्रोता भी ताली बजाकर झूमने लगे। समापन के बाद श्रोताओं ने ऊंचे स्वर में हर-हर महादेव का जयघोष कर आभार जताया। दोनों वादकों के साथ बांसुरी पर विवेक सोनार और वैष्णवी जोशी ने मनोहारी संगत की।
संगीत समारोह की दूसरी प्रस्तुति भरतनाट्यम भी भगवान बाल-गोपाल को ही समर्पित रही। बंगलूरू की नृत्यांगना जननी मुरली ने भरतनाट्यम से गंगा स्तुति की। हरि तुम हरो जन की पीर... गीत पर भरतनाट्यम पर जननी कभी यशोदा तो कभी मीरा नजर आईं।
कन्हैया के नटखटपन पर कभी गुस्सा तो कभी वात्सल्य की झलक दिखलाई। संत पुरंदरदास की एक रचना पर नृत्य करने के बाद महाकाल को समर्पित बंदिश से शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति को खत्म किया। तीसरी प्रस्तुति बनारस घराने के तबला और डोगरा परिवार के संतूर की जुगलबंदी के नाम रही। अमिताभ बच्चन और जाकिर हुसैन के साथ जय हनुमान जैसे लोकप्रिय भजन में संतूर की आवाज से लोहा मनवा चुके पं. राहुल शर्मा ने संतूर पर राग झिंझोटी की धुन पेश की। लगातार 300 सेकेंड तक न तो तबले से हाथ हटे और न ही संतूर से। उनके साथ तबले पर संगत कर रहे बनारस घराने के पं. रामकुमार मिश्र ने बखूबी साथ दिया।
संगीत समारोह का खास आकर्षण बगीचे की कला दीर्घा रही। यहां पर 400 से ज्यादा अद्भुत तस्वीरें देखने को मिलीं। सबसे महंगी पेंटिंग सवा तीन लाख रुपये की है। इसे स्तुति सिंह ने उकेरा है।