बनारस के प्रसिद्ध श्री आदिशक्ति माँ दुर्गा के मंदिर में देवी माता की मूर्ति स्वयंभू प्रकट हुई थी। इसके साथ ही परिसर में ही एक कुंड है, जिसे दुर्गाकुंड के नाम से जाना जाता है। यह कुंड पहले गंगा नदी से जुड़ा हुआ था। इस कुंड को बाद में नगर पालिका ने फुहारे में बदल दिया, जो अपनी मूल सुन्दरता को खो चुका था परंतु ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ़ दुर्गाकुंड के तहत इस कुंड के पानी को जल पुनचक्रण द्वारा साफ़ किया जा रहा हैं और साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले उपचारित जल उपलब्ध कराई जा रही है जिससे इस कुंड की सुंदरता बनी रहे।
दुर्गा मंदिर काशी के पुरातन मंदिरॊ मॆ सॆ एक है। इस मंदिर का उल्लॆख " काशी खंड" मॆ भी मिलता है। लाल पत्थरों से बने अति भव्य इस मंदिर के एक तरफ "दुर्गा कुंड" है। इस मंदिर और कुंड का निर्माण 18वीं शताब्दी में बंगाल की रानी ने करवाया था। यह कुंड पहले गंगा नदी से जुड़ा हुआ था परंतु कालांतर में वाराणसी नगर महापालिका सुन्दरी करण के अंतर्गत इस कुंड को खूबसूरत फव्वारे में निर्माण कर दिए। कुंड को फव्वारे में बदलने से इसकी सुंदरता बढ़ी नहीं बल्कि और घटती आई, इसी परिस्थति को देखते हुए वाराणसी नगर निगम ने इस कुंड की जल पुनर्चक्रण को अनुकूलित करना और वाणिज्यिक और घरेलू संयंत्रों के लिए उच्च गुणवत्ता वाला उर्वर-उपचारित जल उपलब्ध सुविधाएं शुरू की जिसे 45 दिन में पूर्ण किया जाएगा।