उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर विरोध एक बार फिर उग्र रूप लेने वाला है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने ऐलान किया है कि 09 जुलाई को पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल पर रहेंगे।इससे पहले 02 जुलाई को प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन होगा। यह आंदोलन, पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ़ है।
संघर्ष समिति के अनुसार, आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए सोमवार से केंद्रीय पदाधिकारी सभी ज़िलों और परियोजनाओं का दौरा करेंगे।30 जून को झांसी और परीक्षा ताप विद्युत गृह में आमसभा01 जुलाई को कानपुर, केस्को और पनकी में बैठकेंऔर फिर 02 जुलाई को राज्यभर में ज़ोरदार प्रदर्शनपदाधिकारियों ने बताया कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आपातकाल जैसे हालात बना रहे हैं, जिसका हर ज़िले में कर्मचारियों ने कड़ा विरोध दर्ज किया। बैठकों में यह संकल्प लिया गया है कि जैसे ही निजीकरण का टेंडर जारी होगा, पूरे प्रदेश में "सामूहिक जेल भरो आंदोलन" शुरू किया जाएगा। इसके लिए ज़िला स्तर पर टीमें बनाई जा रही हैं। संघर्ष समिति ने ये भी आरोप लगाया है कि “तीन शीर्ष पदाधिकारियों – जितेंद्र सिंह गुर्जर, जयप्रकाश और चंद्रभूषण उपाध्याय पर जानबूझकर एफआईआर कराई गई है। डराने-धमकाने के जरिए आवाज दबाई नहीं जा सकती।”कर्मचारियों का कहना है कि ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति और टकराव का माहौल बनता जा रहा है, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से पावर कारपोरेशन प्रबंधन और चेयरमैन की होगी।बिजली कर्मचारियों का यह आंदोलन अब सिर्फ़ विरोध नहीं, बल्कि एकजुटता का प्रतीक बनता जा रहा है।निजीकरण के खिलाफ़ उनकी यह लड़ाई अब सड़कों से होते हुए जेल भरो आंदोलन तक जाने को तैयार है।अब देखना होगा कि सरकार की ओर से कोई संवाद आता है या नहीं।