बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) में स्वदेशी कौशल और आत्मनिर्भर भारत की भावना ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है। वर्ष 2015 में चेक रिपब्लिक से खरीदी गई 27.26 करोड़ रुपये मूल्य की सी.एन.सी. हैवी ड्यूटी पोर्टल मिलिंग मशीन, जो क्रैंक केस की मशीनिंग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, उसमें तकनीकी खराबी आने से उत्पादन बाधित हो गया था।मशीन के बी-एक्सिस हेड में ग्राउंड फॉल्ट की समस्या उत्पन्न हुई थी, जिसके समाधान हेतु कई बार निर्माता कंपनी से संपर्क किया गया, किंतु अपेक्षित सहायता प्राप्त नहीं हो सकी। ऐसे में महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में बरेका की तकनीकी टीम ने इस चुनौती को “हम करेंगे” की भावना के साथ स्वीकार किया और मशीन को इन-हाउस रिपेयर करने का निर्णय लिया।
बिना विदेशी सहायता, बरेका के अभियंताओं ने किया असंभव कार्य संभव मशीन के हेड को खोलने से पूर्व उसकी संपूर्ण संरचना और ड्राइंग का गहन अध्ययन किया गया। आवश्यक सभी घटकों की पुन: ड्राइंग तैयार कर उन्हें सावधानीपूर्वक खोला गया। स्लिप रिंग असेंबली में मौजूद स्पेयर रिंग पर बिजली आपूर्ति को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया – यह कार्य अत्यंत जटिल और उच्च तकनीकी क्षमता वाला था। सभी पावर एवं कंट्रोल वायर कनेक्शन को खोलकर, ब्रास रिंग में लगी स्लिप रिंग सप्लाई को नीचे से ऊपर शिफ्ट किया गया। इस अद्भुत तकनीकी कौशल से समस्या का स्थायी समाधान प्राप्त हुआ और मशीन पुनः सुचारु रूप से कार्य करने लगी। 25 लाख रुपये की बचत – उत्पादन हुआ निर्बाध इस उपलब्धि से बरेका को लगभग ₹25 लाख की प्रत्यक्ष वित्तीय बचत हुई, साथ ही क्रैंक केस के उत्पादन में आई रुकावट समाप्त हो गई। यह सफलता न केवल बरेका की तकनीकी दक्षता का प्रमाण है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना का जीवंत उदाहरण भी है।"बरेका के कुशल कारीगरों और इंजीनियरों ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि तकनीकी आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में भारत किसी से पीछे नहीं। यह उपलब्धि पूरे भारतीय रेल तंत्र के लिए गर्व का विषय है।"