महमूदपुर गांव में ग्राम प्रधान और उनके पति पर ग्राम पंचायत के पद का दुरुपयोग कर ग्रामीणों को प्रताड़ित करने, अवैध निर्माण कार्य कराने और न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवहेलना करने का गंभीर आरोप लगा है।ग्रामीणों के अनुसार, गांव में वर्षों पुराना 7 फुट चौड़ा सार्वजनिक रास्ता है, जिससे सभी का आना-जाना होता है। लेकिन ग्राम प्रधान गुल्लू और उनके पति द्वारा लेखपाल से मिलीभगत कर इस रास्ते को 14 फुट चौड़ा करने के नाम पर आसपास के लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं। जबकि यह मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है और हाई कोर्ट द्वारा इस कार्य पर स्टे ऑर्डर (अस्थायी रोक) पारित किया जा चुका है।अदालत की अवहेलना और बल प्रयोग का आरोप हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद ग्राम प्रधान गुल्लू और ब्लॉक के सचिव (सेक्रेटरी) द्वारा मिलकर जबरन सड़क निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
गांव के ही निवासी बबलू गुप्ता ने जब इसका विरोध किया और कोर्ट के आदेश की प्रति दिखाकर कार्य रुकवाने की कोशिश की, तो ग्राम प्रधान की ओर से कथित रूप से दर्जनों की संख्या में समर्थकों ने लाठी-डंडों से जानलेवा हमला कर दिया।इस हमले में बबलू गुप्ता को गंभीर चोटें आईं। घटना की सूचना मिलते ही लोहता थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया। दोनों पक्षों को थाने लाकर पूछताछ की गई, और बबलू गुप्ता की ओर से ग्राम प्रधान के खिलाफ लिखित तहरीर दी गई। पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है और ग्राम प्रधान के खिलाफ विधिक कार्रवाई की बात कही है।ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और सचिव कोर्ट के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं और मनमाने तरीके से निर्माण कार्य करा रहे हैं। लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं और विरोध करने वालों को डराया-धमकाया जा रहा है। इससे गांव में भय और असंतोष का माहौल बन गया है।भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत यदि किसी न्यायालय द्वारा पारित आदेश की अवहेलना की जाती है, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा बलपूर्वक हमला, घर तोड़ने और धमकी देने जैसी धाराएं भी इस मामले में बनती हैं।स्थानीय प्रशासन और ब्लॉक स्तर के अधिकारी इस पूरे प्रकरण पर मौन हैं। सवाल यह है कि जब हाई कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश पारित किया गया है, तो फिर किसके आदेश पर यह निर्माण कार्य जारी है? क्या प्रशासन भी इस मिलीभगत का हिस्सा है?
ग्रामीणों ने मांग की है कि:
1. ग्राम प्रधान गुल्लू और उनके पति के खिलाफ अविलंब सख्त कार्रवाई हो।
2. स्टे आदेश की अवहेलना करने पर संबंधित ब्लॉक सचिव को भी निलंबित किया जाए।
3. बबलू गुप्ता पर हुए हमले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों को जेल भेजा जाए।
4. गांव में तैनात पुलिस बल की निगरानी में ही कोई भी निर्माण कार्य कराया जाए, वो भी कोर्ट के आदेशानुसार।
यह मामला अब धीरे-धीरे राजनीतिक रंग भी पकड़ता जा रहा है। पीड़ित पक्ष ने उच्च अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक को शिकायत भेजने की बात कही है। देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितना निष्पक्ष और प्रभावी कदम उठाता है।