उत्तर प्रदेश जल निगम (ग्रामिण) और (नगरीय) के कर्मचारियों और पेंशनरों ने बुधवार को वाराणसी स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय (ग्रामिण) परिसर में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की।वाराणसी, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र से आए सैकड़ों कर्मचारी और पेंशनर पिछले 5 महीनों से वेतन और पेंशन न मिलने से आक्रोशित थे। प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेताया कि अगर जल्द उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे 5 से 7 अगस्त तक लखनऊ में तीन दिवसीय प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे।जल निगम संघर्ष मोर्चा के सलाहकार इंजीनियर गौरी शंकर सिंह कुशवाहा ने बताया कि वर्ष 2021 में जल निगम का नगरीय और ग्रामीण दो भागों में विभाजन व्यवस्था सुधार के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन हालात और बिगड़ गए। उन्होंने कहा कि छठे वेतनमान के अनुसार कर्मचारियों को 252% महंगाई भत्ता मिलना चाहिए, लेकिन अभी सिर्फ 212% दिया जा रहा है।
साथ ही 4141 सेवानिवृत्त फील्ड कर्मियों के देयक उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद लंबित हैं।इसके अलावा वर्ष 2021 से मृतक आश्रितों की अनुकंपा नियुक्तियों पर अवैध रूप से रोक लगी है, जिससे मृत कर्मचारियों के परिजन न्याय से वंचित हैं। नेताओं ने की चेतावनी: “अब और चुप नहीं बैठेंगे” धरने को संबोधित करते हुए एकीकृत संघर्ष मोर्चा के क्षेत्रीय संयोजक इंजीनियर डी.एन. तिवारी, यूनियन महामंत्री ज्योति श्रीवास्तव, महासंघ अध्यक्ष प्रेमदास, कर्मचारी नेता सुरेश श्रीवास्तव, राजनम सिंह, प्रकाश सिंह, मो. अतहर खां, उमेश झा, रामदुलार, भोलानाथ, अरुण कुमार सिंह और विद्याधर तिवारी समेत कई वक्ताओं ने निगम प्रशासन और सरकार को कठोर चेतावनी दी।नेताओं ने कहा कि अब कर्मचारी और पेंशनर चुप बैठने वाले नहीं हैं। वेतन, पेंशन, अनुकंपा नियुक्ति और भत्तों की मांगों को लेकर लड़ाई को और तेज किया जाएगा।प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन कर्मचारियों की नाराजगी और चेतावनी को देखते हुए यह साफ है कि यदि मांगों की अनदेखी हुई, तो राजधानी लखनऊ में बड़ा प्रदर्शन तय है।