कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वाराणसी से पूर्व विधायक अजय राय ने एक प्रेस वार्ता कर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को भाजपा सरकार आरएसएस का गढ़ बनाने की कोशिश कर रही है, जिससे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता, वैचारिक स्वतंत्रता और संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय जी की मूल विचारधारा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
अजय राय ने कहा, भाजपा सरकार की मंशा साफ दिखाई दे रही है। BHU जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान को वह अपने राजनीतिक और वैचारिक एजेंडे का अड्डा बनाना चाहती है। यह विश्वविद्यालय पंडित मालवीय जी की देन है, जिन्होंने इसे शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से स्थापित किया था। लेकिन आज यहां आरएसएस के कार्यक्रम, विचारधारा और एजेंट हावी होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में BHU में नियुक्तियों से लेकर प्रशासनिक निर्णयों तक में संघ का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है।
"विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम, संगोष्ठी और आयोजनों में अब स्वतंत्र सोच की बजाय एकतरफा वैचारिक आग्रह थोपे जा रहे हैं। इससे छात्रों और शिक्षकों के बीच भय और असंतोष का माहौल बन रहा है।कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा सिर्फ भाषणों में महामना का नाम लेती है, जबकि व्यवहार में उनकी धर्मनिरपेक्ष और समावेशी सोच की उपेक्षा की जा रही है।मालवीय जी ने BHU को हर वर्ग, जाति और विचारधारा के लिए खोला था। लेकिन आज जिस प्रकार से केवल एक विशेष विचारधारा को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह उनकी आत्मा के साथ विश्वासघात है। अजय राय ने दावा किया कि भाजपा सरकार केवल BHU ही नहीं, बल्कि देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों को संघ का प्रशिक्षण केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रही है। "छात्रसंघों को खत्म किया गया, बहस और विचारों की विविधता को कुचला जा रहा है। ये सब लोकतंत्र और शिक्षा के लिए खतरे की घंटी है। उन्होंने वाराणसी के नागरिकों और छात्र समुदाय से अपील की कि वे इस विचारधारात्मक कब्जे का विरोध करें और BHU की स्वायत्तता और गौरव को बचाने के लिए आवाज उठाएं। उन्होंने कहा कि बीएचयू का सालाना बजट 2 करोड़ से बढ़कर 250-300 करोड़ हो गया है, फिर भी मरीजों को न तो मुफ्त दवाएं मिलती हैं, न ही भोजन।
ट्रामा सेंटर से लेकर ट्रस्ट हॉस्पिटल तक हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है और मोदी सरकार इस संस्था को "संघ की प्रयोगशाला" बनाना चाहती है। अजय राय ने स्पष्ट मांग की कि कार्यपरिषद से भाजपा और आरएसएस से जुड़े नेताओं को हटाकर शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और शिक्षा क्षेत्र में अलंकृत व्यक्तियों को शामिल किया जाए।