उत्तर प्रदेश की नंबर वन घोषित पिंडरा तहसील की जल निकासी व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। हर वर्ष की तरह इस बार भी मामूली बारिश में तहसील परिसर जलमग्न हो गया। इससे नाराज होकर शुक्रवार को अधिवक्ताओं ने विरोध का अनोखा तरीका अपनाया बरसाती गंदे पानी में उतरकर धान की रोपाई की और तहसील प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।बरसात के पानी से जर्जर हालत में पहुंचे तहसील परिसर को देखकर अधिवक्ताओं का सब्र टूट गया। उन्होंने तहसील में जगह-जगह भरे गंदे पानी में उतरकर प्रतीकात्मक रूप से धान की बुआई कर प्रशासन की उदासीनता पर कटाक्ष किया। "
पिंडरा तहसील बजबजा रही है, लेकिन जिम्मेदार मौन हैं यह आरोप अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन के दौरान लगाए। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता पूर्व अध्यक्ष शिवपूजन सिंह, पनाधारी यादव, जवाहर वर्मा, श्रीनाथ गौड़, रामभरत यादव, अशोक लाल कनौजिया, अमर पटेल, रवि यादव, ए.के. सिंह समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे। प्रदर्शन की गूंज से तहसील परिसर गूंज उठा और कर्मचारी भी अपने-अपने कार्यालयों से बाहर निकल आए। कई कर्मियों ने दबी जुबान में अधिवक्ताओं के विरोध का समर्थन भी किया और इसे जायज़ बताया।अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही जलनिकासी की स्थायी व्यवस्था नहीं की गई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक ओर सरकार तहसीलों को डिजिटल और स्मार्ट बनाने की बात कर रही है, वहीं पिंडरा तहसील बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।