गंगा नदी में जलस्तर लगातार ऊंचाई पर बना हुआ है, जिससे वाराणसी के घाटों पर बाढ़ का पानी पहुंच गया है। शुक्रवार को गंगा का जलस्तर 68.76 मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो वार्निंग लेवल 70.262 मीटर से कुछ ही नीचे है, जबकि खतरे का स्तर 71.262 मीटर पर है। हालांकि पिछले 24 घंटों में जलस्तर 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से घट रहा है, मगर हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं।बाढ़ के कारण हरिश्चंद्र घाट पूरी तरह जलमग्न हो गया है, जिससे शवदाह की प्रक्रिया अब घाट से हटकर आसपास की गलियों में की जा रही है। इससे एक ओर अंतिम संस्कार में धार्मिक रीति-रिवाजों के निर्वहन में बाधा आ रही है, तो दूसरी ओर स्थानीय निवासियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।डोमराजा परिवार के सदस्य विक्रम चौधरी ने बताया कि यह स्थिति हर साल बाढ़ के समय बनती है।
सरकार की ओर से घाट पर कॉरिडोर निर्माण का कार्य चल रहा है, लेकिन जब तक कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होती, हर साल हमें यही दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। गलियों में शव जलाए जा रहे हैं, जिससे धुएं और प्रदूषण का असर हमारे घरों तक पहुंचता है।”विक्रम चौधरी ने आगे बताया कि एक दिन में 30 से 40 शवों का अंतिम संस्कार इन गलियों में किया जा रहा है। “सनातन धर्म के अनुसार शव को पांच बार घुमाना जरूरी होता है, लेकिन संकरी गलियों में जगह की कमी के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा। गर्मी और धुएं के कारण दीवारें तप रही हैं। अगर हम पास से गुजरते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे हमारी त्वचा भी झुलस रही हो।”स्थानीय लोगों ने इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग करते हुए कहा कि सरकार को जल्द से जल्द घाट क्षेत्र के लिए बाढ़ से बचाव की ठोस योजना बनानी चाहिए। जब तक उचित व्यवस्था नहीं होगी, तब तक यह त्रासदी हर वर्ष दोहराई जाती रहेगी।