प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायिका संघमित्रा चक्रवर्ती ने वाराणसी प्रवास के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए काशीवासियों के प्रति आभार जताया। सोनारपुरा स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि इस बार उन्हें बनारस के घाट संध्या कार्यक्रम में संगीत प्रस्तुति देने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसे दर्शकों ने भरपूर सराहा।उन्होंने बताया कि कार्यक्रम ‘सुबह-ए-बनारस’ में भी उनकी प्रस्तुति निर्धारित थी, लेकिन लगातार बारिश के कारण उसे स्थगित करना पड़ा। इसके अतिरिक्त, लंका स्थित 'क आर्ट कैफे' में उनकी संस्था ‘वाणिश्री’ द्वारा एक पुस्तक चर्चा का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में काशी शैववाद पर आधारित डॉ. गौतम बैनर्जी द्वारा लिखित पुस्तक पर विचार-विमर्श हुआ। इस अवसर पर बीएचयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर विभा त्रिपाठी और प्रोफेसर कमलशील ने अपने विद्वतापूर्ण व्याख्यान दिए।संघमित्रा चक्रवर्ती ने कहा, “बनारस मेरे लिए to केवल एक शहर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव का केंद्र है। सावन का महीना, बाबा विश्वनाथ का दर्शन, गंगा आरती और संगीत प्रस्तुति — इन सबके बीच मैं परम आनंद की अनुभूति कर रही हूँ।” उन्होंने आगे कहा, “इस प्राचीन नगरी की धूल-मिट्टी में भी प्रेम समाया हुआ है।”प्रेस वार्ता के अंत में उन्होंने काशीवासियों की सांस्कृतिक समझ और संगीत प्रेम के लिए उन्हें हृदय से धन्यवाद दिया।