सावन के दूसरे सोमवार को वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सीर गोवर्धनपुर के करीब 20 हजार यादव बंधुओं ने जलाभिषेक कर भोलेनाथ से लोककल्याण और परिवार की सुख-शांति की कामना की।सप्ताहों की तैयारी के बाद अस्सी घाट से गंगाजल लेकर श्रद्धालु नंगे पांव केदार घाट पहुंचे और फिर बीएचयू स्थित शिवमंदिर तक पहुँचे। इस दौरान “हर-हर महादेव” के जयघोष से संपूर्ण परिसर गूंज उठा। मंदिर के बाहर सुबह से ही दर्शनार्थियों की लंबी कतारें लगी रहीं।जलाभिषेक की यह परंपरा वर्षों पुरानी है। सुनील कुमार यादव ने बताया कि यह परंपरा 1962 से लगातार निभाई जा रही है, जब BHU परिसर में नया विश्वनाथ मंदिर बनकर तैयार हुआ।
“हम लोग सावन के पहले सोमवार को पुराने विश्वनाथ मंदिर और दूसरे सोमवार को बीएचयू मंदिर में जल चढ़ाते हैं,” उन्होंने बताया। प्रसाद राम सिंह, वार्ड नंबर 23 से आए श्रद्धालु ने कहा, “हम सीर गोवर्धनपुर से हाथों में कलश लेकर अस्सी घाट जाते हैं, वहां स्नान कर गंगाजल भरते हैं और फिर बाबा विश्वनाथ को चढ़ाते हैं। यह सिर्फ परंपरा नहीं, आस्था और समर्पण का प्रतीक है।”श्रद्धालुओं के अनुसार, यह आयोजन सामूहिक एकता, धार्मिक चेतना और सामाजिक समरसता का संदेश भी देता है।