काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) परिसर में चंदन के पेड़ों की चोरी का मामला अब एक नए मोड़ पर आ गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट अनीश चटर्जी की शिकायत पर संबंधित अधिकारियों ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और डीसीपी राठी ने चोरी हुई चंदन के पेड़ों तथा अन्य संबंधित जानकारियों को जुटाकर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, बीएचयू परिसर से कई कीमती पेड़ गायब हुए हैं, जिनमें चंदन के पेड़ भी शामिल हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि कुछ पेड़ सुरक्षा कारणों या आवश्यक कटाई के तहत हटाए गए थे और कई स्थानों पर नए पौधे लगाए गए हैं। लेकिन याचिकाकर्ताओं और पर्यावरण संरक्षण के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यह कार्रवाई पूरी तरह पारदर्शी नहीं थी और कुछ मामलों में अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) ने बीएचयू प्रशासन से जवाब मांगा है और उन्हें निर्देश दिए हैं कि वे पूरी स्थिति स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करें। स्थानीय वन विभाग और पुलिस भी जांच में शामिल हैं और सीसीटीवी फुटेज तथा अन्य सबूतों की पड़ताल कर रहे हैं। इस मामले से यह सवाल उठ रहा है कि इतनी सुरक्षित परिसर में चंदन जैसे कीमती पेड़ चोरी कैसे हो गए, और आने वाले समय में दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जांच में लापरवाही या मिलीभगत के संकेत मिलते हैं तो उच्च स्तर की जांच या केंद्रीय एजेंसियों की मदद ली जा सकती है। इस प्रकरण ने बीएचयू प्रशासन की पारदर्शिता और परिसर सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे विश्वविद्यालय में पर्यावरण सुरक्षा और निगरानी की जिम्मेदारी पर गंभीर बहस शुरू हो गई है।