इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के अनचाहे गर्भ को समाप्त करने की अनुमति में हो रही देरी पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि गर्भ समापन से जुड़ी अनुमति प्रक्रिया को तेज करने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन बनाकर हलफनामा दाखिल करें। साथ ही सुझाव देने को कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बावजूद अनुमति देने में हो रही देरी को कैसे कम किया जाए।कोर्ट ने कहा कि जब दो मेडिकल बोर्ड ने गर्भ समापन के पक्ष में रिपोर्ट दी थी, तब भी निचली अदालत ने अर्जी खारिज कर दी, जो संवेदनहीनता और कानून की गलत व्याख्या का उदाहरण है। कोर्ट ने कहा कि अनचाहा गर्भ हर दिन पीड़िता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है, इसलिए तुरंत निर्णय होना चाहिए।
बागपत की नाबालिग पीड़िता के मामले में हाईकोर्ट ने मेरठ के सीएमओ को चार डॉक्टरों का मेडिकल बोर्ड गठित कर 24 घंटे में विस्तृत जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को इस जांच में सहयोग करने और मेरठ के जिलाधिकारी को पीड़िता व उसके परिवार के यात्रा व ठहरने का खर्च उठाने का निर्देश दिया गया है।यह आदेश न्यायमूर्ति एम.के. गुप्ता और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने दिया। मामला बागपत के सिंघावली अहीर थाने का है, जहां 17 वर्षीय पीड़िता की मां ने दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कराई थी। सीएमओ की रिपोर्ट में गर्भ 20 सप्ताह से कम पाया गया और एमटीपी एक्ट के तहत गर्भपात संभव बताया गया था। मेडिकल बोर्ड की दूसरी रिपोर्ट भी पक्ष में थी, बावजूद इसके विशेष पाक्सो कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका पर अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।