उत्तर प्रदेश में 50 से कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में मिलाने (मर्जर) के फैसले पर आज लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच सीतापुर डीएम और राज्य सरकार की रिपोर्ट पर अपना रुख स्पष्ट करेगी। 16 जून 2025 को बेसिक शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया कि 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल नजदीकी स्कूलों में मर्ज किए जाएं।
1 जुलाई को सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने कहा कि मर्जर से बच्चों को 3-5 किमी दूर स्कूल जाना पड़ेगा, जो RTE एक्ट (6-14 साल के बच्चों के लिए नजदीकी स्कूल अनिवार्य) का उल्लंघन है। 7 जुलाई को सिंगल बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह नीतिगत निर्णय है और बच्चों के हित में है। इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने डबल बेंच का दरवाजा खटखटाया। 24 जुलाई को कोर्ट ने सीतापुर जिले में मर्जर पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। सरकार का कहना है कि कई स्कूलों में नामांकन बहुत कम है और शिक्षक अनुपात भी असमान। मर्जर से बेहतर संसाधन, स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, स्वच्छ पेयजल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी। साथ ही, छोटे स्कूल बंद होने पर उनकी इमारतों का उपयोग पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र या लाइब्रेरी के रूप में किया जाएगा। बच्चों और अभिभावकों का कहना है कि बिना सर्वे और ठोस योजना के सरकार ने जल्दबाजी में आदेश जारी किया। छोटे बच्चों के लिए दूर-दराज के स्कूल तक रोजाना पहुँचना मुश्किल और असुरक्षित होगा। सीतापुर डीएम और राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी है। अब डबल बेंच यह तय करेगी कि सरकार का कदम सही है या बच्चों की सुरक्षा और पढ़ाई पर खतरा है।