काशी की प्राचीन परंपराओं में शामिल बाबा लाट भैरव विवाह महोत्सव का आयोजन इस बार भी भक्तिभाव और उल्लास के साथ किया जा रहा है। विवाह-पूर्व रस्म के तहत लाट भैरव मंदिर परिसर में मेंहदी की रस्म संपन्न हुई। इस मौके पर महिलाएं और युवतियां हरे रंग के पारंपरिक परिधानों में सजीं और माता भैरवी को मेंहदी अर्पित की।
भैरवी कूप को मां भैरवी का स्वरूप मानते हुए पूजन किया गया। मंदिर परिसर में पूरे दिन मंगलगीतों की गूंज, नृत्य और भजन-संगीत का दौर चलता रहा। नृत्यांगनाओं ने अपनी प्रस्तुतियों से वातावरण को और भी जीवंत कर दिया। देर रात तक भैरवाष्टक और स्तुतिगान के बीच श्रद्धालु बाबा के दरबार में डटे रहे। सूर्योदय के साथ बाबा लाट भैरव की बारात निकलेगी। प्रबंध समिति के मीडिया प्रभारी शिवम अग्रहरि ने बताया कि बारात मार्ग पर शहनाई की धुनों से माहौल गूंजायमान होगा। बारात की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी इस बार भी बसंत सिंह राठौर के परिवार ने संभाली है, जो पीढ़ियों से इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। कभी मंडी के पल्लेदार कंधों पर बाबा का रजत मुखौटा लेकर चलते थे, उसी परंपरा को अब नई पीढ़ी पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ निभा रही है। आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।