चंद्रग्रहण के सूतक काल को ध्यान में रखते हुए रविवार को दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की विश्व प्रसिद्ध आरती दिन में सम्पन्न कराई गई। गंगा सेवा निधि द्वारा आयोजित यह आरती दोपहर 12 बजे से शुरू होकर सूतक काल से पूर्व सम्पन्न हो गई।गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि आरती परंपरागत विधि-विधान से सम्पन्न हुई। वर्ष 1991 में स्वर्गीय पंडित सतेंद्र मिश्र ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की परंपरा की शुरुआत की थी। तब से लेकर अब तक 34 वर्षों में यह महज पांचवीं बार हुआ है जब चंद्रग्रहण के कारण गंगा आरती दिन में सम्पन्न कराई गई।
इससे पहले 28 अक्टूबर 2023, 16 जुलाई 2019, 27 जुलाई 2018 और 7 अगस्त 2017 को भी चंद्रग्रहण के चलते दिन में आरती हुई थी। इस विशेष क्षण के साक्षी बड़ी संख्या में श्रद्धालु और विदेशी पर्यटक बने।वर्तमान में मां गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने के कारण गंगा आरती घाट पर न होकर छत पर सम्पन्न कराई जा रही है।
इसी कड़ी में चंद्रग्रहण के सूतक काल के कारण रविवार को बनारस के घाटों पर एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। दशाश्वमेध घाट की भांति अस्सी घाट पर भी गंगा आरती दिन में ही सम्पन्न कराई गई। दोपहर में आयोजित इस विशेष आरती में भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और इस अनूठे पल के साक्षी बने।
आरती के दौरान पूरे घाट परिसर में मंत्रोच्चार और “हर हर महादेव” के जयकारों से वातावरण गूंज उठा। इस अलौकिक दृश्य ने उपस्थित श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अभिभूत कर दिया।गौरतलब है कि चंद्रग्रहण के चलते बनारस के सभी प्रमुख घाटों पर रविवार को गंगा आरती दिन में आयोजित की गई। यह क्षण न केवल परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक रहा बल्कि बनारस की अध्यात्मिक विरासत का भी अद्वितीय परिचायक बना।