महामृत्युंजय मंदिर परिसर, दारानगर स्थित धन्वन्तरि अमृत कूप और धनवत्रेश्वर महादेव मंदिर में धन्वन्तरि जयन्ती के अवसर पर राष्ट्र के स्वास्थ्य के निमित्त वैदिक विधि से पूजन-अर्चन एवं हवन किया गया। वैदिक ऋचाओं के साथ सम्पन्न इस अनुष्ठान में विभिन्न चिकित्सा संगठनों के वैद्यों और चिकित्सकों ने आहुतियाँ अर्पित कीं।कार्यक्रम में यजमान के रूप में डॉ. लक्ष्मण त्रिवेदी, डॉ. हरिओम प्रकाश पांडेय और डॉ. राकेश मोहन श्रीवास्तव उपस्थित रहे। इस अवसर पर वैद्य सभा, प्राकृतिक चिकित्सा, विश्व आयुर्वेद परिषद और जनपद आयुर्वेद सम्मेलन से जुड़े अनेक आयुर्वेदाचार्य एवं चिकित्सकों ने हवन में भाग लिया।पूजन-अर्चन के बाद वैद्य रंगी राम विश्वकर्मा की स्मृति में “हेमन्त ऋतु में स्वास्थ्य रक्षा” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम संयोजक वैद्य (डॉ.) सुभाष श्रीवास्तव ने स्वागत संबोधन में कहा कि “आयुर्वेद आज विश्व स्तर पर अपनी कार्यक्षमता के कारण सर्वग्राही बनता जा रहा है, हमें इसके प्रचार-प्रसार में पूर्ण निष्ठा से योगदान देना चाहिए।”अध्यक्षीय उद्बोधन में आयुष लक्षद्वीप के पूर्व निदेशक डॉ. शिवशंकर मिश्रा ने कहा कि “धन्वन्तरि कूप विश्व का एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ भगवान धन्वन्तरि ने स्वर्ग गमन से पूर्व अपनी औषधि पेटिका डाली थी।
यह स्थान वैद्य समाज के लिए प्रेरणा और ऊर्जा का केंद्र है।”विशिष्ट अतिथि डॉ. उत्तम ओझा ने ऋतु अनुसार आहार-विहार पर बल देते हुए कहा कि “हेमन्त ऋतु में मधुर, अम्ल और लवण युक्त आहार जैसे गुड़, आंवला, गौ-घृत, अश्वगंधा, शिलाजीत, सोंठ, पीपल और काली मिर्च का सेवन शरीर को सुदृढ़ बनाता है।”डॉ सुभाष श्रीवास्तव कार्यक्रम का संचालन वैद्य ध्रुव कुमार अग्रहरि ने किया, विषय संयोजन डॉ. नंदकिशोर सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अखिलेश चंद्र पांडेय ने किया।यह आयोजन न केवल पारंपरिक आयुर्वेद की समृद्ध विरासत का प्रतीक बना, बल्कि आने वाले मौसम में स्वास्थ्य संरक्षण के प्रति जागरूकता का संदेश भी दिया।

