19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने रचा इतिहास, शुक्ल यजुर्वेद का दंडक्रम पारायण पूरा

काशी में महाराष्ट्र के 19 वर्षीय युवा विद्वान देवव्रत महेश रेखे ने वह उपलब्धि हासिल की है, जिसे पिछले 200 वर्षों में केवल एक ही विद्वान पूरा कर सके थे। देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद के लगभग 2 हजार मंत्रों का दंडक्रम पारायण मात्र 50 दिनों में बिना किसी रुकावट के पूरा कर इतिहास रच दिया। उनके इस अद्भुत और कठोर वैदिक साधना के लिए उन्हें वेदमूर्ति की उपाधि से सम्मानित किया गया।देवव्रत महेश रेखे के इस असाधारण कार्य के उपलक्ष्य में काशी में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। 


रथयात्रा क्रॉसिंग से महमूरगंज तक निकली इस शोभायात्रा में 500 से अधिक वैदिक छात्र शामिल हुए। शंखध्वनि, वैदिक मंत्रोच्चार और संगीत वाद्ययंत्रों के साथ पूरा वातावरण उत्सवमय हो उठा। रास्ते भर भक्तों ने फूलों की वर्षा कर युवा वेदपाठी का सम्मान किया।इस अवसर पर श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री भारती तीर्थ महासन्निधानम् का विशेष संदेश भी समारोह में सुनाया गया, जिसमें उन्होंने देवव्रत की साधना और दृढ़ संकल्प की सराहना की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को X पर लिखा, “19 साल के वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने जो किया है, उसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।” वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस उपलब्धि को भारतीय वैदिक परंपरा की अमूल्य धरोहर बताते हुए देवव्रत को बधाई दी।देवव्रत की यह उपलब्धि काशी की धार्मिक-आध्यात्मिक परंपरा में एक नया अध्याय जोड़ती है।


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