काशी में परंपराओं और आस्था से ओतप्रोत दृश्य दिखाई दिया, जब बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मणिकर्णिका घाट पर गंगा स्नान कर वार्षिक अंतरगृही यात्रा की शुरुआत की। लगभग 25 किलोमीटर लंबी यह विशेष परिक्रमा यात्रा नंगे पांव सम्पन्न की जाती है, जिसमें काशी के ग्रामीण इलाकों सहित शहर भर से महिलाएँ, पुरुष और बुजुर्ग उत्साहपूर्वक शामिल हुए।पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि लगने पर यात्रा का शुभारंभ आज ही निर्धारित किया गया था।
स्नान एवं पूजन के बाद श्रद्धालुओं का समूह काशी के विभिन्न मार्गों से होकर नगर की परिक्रमा हेतु आगे बढ़ा। इस दौरान पूरे रास्ते में भक्ति, उत्साह और सांस्कृतिक वातावरण देखने को मिला।श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए समाजसेवी संस्थाओं ने यात्रा मार्ग पर कई स्थानों पर सेवा शिविर लगाए। यहाँ चाय, नाश्ता, पानी, ग्लूकोज़ से लेकर दवाइयों तक की निःशुल्क व्यवस्था की गई, ताकि किसी भी प्रतिभागी को थकान या अन्य असुविधा न हो। सेवा शिविरों में युवाओं और स्वयंसेवकों ने लगातार यात्रियों की मदद की।यात्रा में शामिल श्रद्धालु आकाश शर्मा ने बताया कि अंतरगृही यात्रा काशी की अनूठी लोकआस्था का प्रतीक है और हर वर्ष विशाल जनसमूह इसमें सम्मिलित होता है। उनका कहना है कि यह यात्रा केवल परिक्रमा नहीं बल्कि काशीवासियों की सदियों पुरानी परंपरा और आध्यात्मिक विश्वास का जीवंत स्वरूप है।

