अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस और आगामी नवरात्रि के अवसर पर बीएचयू के भारत कला भवन के सेंट्रल हॉल में भारतीय कला में शक्ति पर एक दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला और सप्तमातृकाओं पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रो डॉ. एम.एन.पी. तिवारी पूर्व-टैगोर फेलो, और कला इतिहास विभाग, बीएचयू के पूर्व प्रमुख ने सिंधु घाटी सभ्यता काल से लेकर आधुनिक युग तक की मातृदेवी की अष्टमात्रिकाओं की उत्पत्ति पर अपनी बात रखी और उनके महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. अनिल कुमार सिंह, सहायक क्यूरेटर, भारत कला भवन, बीएचयू ने भारत कला भवन के संग्रह में सप्तमातृकाओं की उनकी प्रतीकात्मक विशेषताओं का विवरण देते हुए एक प्रस्तुति दी। प्रो. मृदुला सिन्हा, पूर्व-डीन, दृश्य कला संकाय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने समकालीन कला क्षेत्र में एक प्रेरणा के रूप में शक्ति के निरंतर प्रभाव पर एक समकालीन विचार दिया। इस कार्यक्रम की अवधारणा डॉ. जसमिंदर कौर, द्वारा की गई थी।
इस अवसर पर डॉ. ओ.एन. सिंह, डॉ. शांति स्वरूप सिन्हा, प्रो. शुभा राव, विनोद कुमार, सहित भारत कला भवन के सदस्य और अन्य विभागों के छात्र उपस्थित थे।