गुरु को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है क्योंकि वह हमें इस संसार में जीने के तरीके और अंधकार से प्रकाश तक ले जाना का रास्ता दिखाते हैं. आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करते है और यथाशक्ति दक्षिणा, पुष्प, वस्त्र आदि भेंट करते है इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 03 जुलाई, सोमवार यानी आज मनाया जा रहा है।
धर्म नगरी काशी में भी गुरु पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शहर के विभिन्न आश्रमों मठों मंदिरों में भक्त पहुंचकर अपने गुरु का आशीष ले रहे हैं इसी कड़ी में राजघाट स्थित जानकी बाग आश्रम में गुरुपूर्णिमा पर्व पर श्रदालुओ का हुजूम उमड़ा। जय जय कार के बीच भक्तो ने गुरु महाराज का आशीर्वाद लिया । बहे गुरु महाराज ने भी भक्तों को आशीष देते हुए प्रसाद वितरण किया।
इसी क्रम में मणिकर्णिका घाट स्थित सतुवा बाबा आश्रम में गुरु पूर्णिमा पर श्रदालुओ का ताता लगा रहा भोर से ही सतुवा बाबा आश्रम के महन्त सन्तोष दास का भक्तो ने माल्यार्पण कर भोग लगाया और गुरु जी का आशीर्वाद लिया
भक्तो को गुरु सन्तोष दास ने आशीर्वाद देते हुए आज के इस परम्परा के बारे में विस्तार से बताया बटुकों ने मंत्रोचार के साथ अपने गुरु का स्वागत किया और आशीर्वाद लिया ।
इसी कड़ी में पड़ाव स्थित सर्वेश्वरी समूह आश्रम में भी गुरुपूर्णिमा पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया गया। दूर दूर से चल कर आये बड़ी संख्या में महिला पुरुष व बच्चो से पूरा इलाका मेले जैसा हो गया दूर तक लाइन लगी रही
जिसे पुलिस व समूह के लोगो ने क्रम से भक्तो को गुरु का दर्शन कराया भक्तो ने जय जय कार के बीच पहुँच कर गुरु जी का आशीर्वाद लिया और गुरु शिष्य परम्परा का निर्वहन किया।
इसी क्रम में बुलानाला स्थित रामजानकी मन्दिर में गुरुपूर्णिमा पर्व धूम धाम से मनाया गया। मन्दिर के महन्त अवध किशोर का भक्तो ने पहुँचकर पूजन किया।
भक्तो ने उनका माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम पहना कर गुरु शिष्य परम्परा का निर्वहन कर जय जय कार से स्वागत किया इस अवसर पर पूरे मन्दिर प्रांगण को आकर्षक ढंग से सजा पर पूजन अर्चन सम्पन्न हुआ।
इसी कड़ी में शिव की नगरी काशी में गुरु पूर्णिमा के अनुष्ठान के लिए भक्तों का रेला उमड़ पड़ा है। सोमवार को गंगा स्नान के साथ ही आषाढ़ पूर्णिमा पर गुरु पीठों का पूजन किया जा रहा है। दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ शिक्षा मंडल में सर्वप्रथम धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी महाराज ने धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज की प्रतिमा पर पादुका पूजन किया। इसके बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन का क्रम प्रारंभ हो गया दूरदराज से आए भक्तों ने गुरु महाराज का दर्शन किया। वही श्रीराम मन्दिर काश्मीरीगंज खोजवा के तत्वावधान में श्री गुरु पादुका पूजन प्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हिरण्यगर्भ भगवान का पूजन किया गया। सन्त अभिराम दास ने गद्दी पर स्थापित श्री स्वामी जी का सविधि पूर्वक पूजन किया तदुपरान्त देश-विदेश से हजारों की संख्या में पधारे श्रद्धालु भक्तगणों ने अपने स्वामी वेदान्ती जी महाराज की चरण पादुका को पखारकर व माल्यार्पण करके पूजन अर्चन किया।
इसी कड़ी मे अघोरपीठ क्रीं कुंड में सुबह आरती की गई। पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतम राम अघोरेश्वर समाधियों की पूजा की। सुबह 9.30 बजे से भक्तों को दर्शन दिया। गुरु के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। भक्तों के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा।
इसी क्रम में गुरु पूर्णिमा पर सोमवार को नगवा स्थित श्री दुर्गा मातृ छाया शक्तिपीठ में गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। प्रातकाल पीठ की संस्थाचिका देवी उपासिका साध्वी गीताम्बा तीर्थ अपने गुरु के चरण पादुका का पूजन किया । इसके पश्चात 108 दंडी सन्यासियों का विधि विधान से पूजन अर्चन किया।
इस अवसर पर साध्वी गीताम्बा ने कहा कि भवसागर से पार कराने वाले गुरु ही है । बिना गुरु के ज्ञान नहीं और बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं है। इस अवसर पर पीठ में चल रहे संगीतमय मानस पाठ का समापन हुआ । इस अवसर पर भव्य भंडारे का आयोजन हुआ जिसमें सर्वप्रथम दंडी सन्यासियों ने भोजन किया इसके पश्चात गृहस्तो का वृहद भंडारा हुआ जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
इसी कड़ी मे सोनारपुरा स्थित श्री चिंतामणि गणेश मंदिर में बड़े धूमधाम से गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया। मंदिर प्रांगण में श्री चल्ला सुब्बाराव शास्त्री का विद्यालय चलता है। इस विद्यालय में चार वेदों के सैकड़ों वेदपाठी बटुक अध्ययन करते हैं।
सभी शिष्यों ने गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर अपने गुरु चल्ला सुब्बाराव शास्त्री का विधि विधान के साथ पूजन अर्चन कर माल्यार्पण भी किया। इस दौरान बटुको ने वैदिक मंगलाचरण भी प्रस्तुत किया।