श्रीकाशी सुमेरु पीठ में संतों का चिंतन शिविर का आयोजन किया गया जिसमे आस पास के महंत एवं साधु संत उपस्थित रहे। इस आयोजन के तहत मणिपुर हिंसा की शांति एवं देश के विकास पर चर्चा हुई। संतों ने शांति पाठ किया और भोजन का भंडारा आयोजित किया। मणिपुर के अमन चैन के लिए संतों ने कामना की। श्रीकाशी सुमेरु पीठ के जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि मणिपुर पिछले 3 महीने से जल रहा है इसके पीछे चाइना और उसके पड़ोसी देशों की भूमिका है। शंकराचार्य ने बताया कि वहां की भूमि को अफीम की खेती का केंद्र बनाने से हिंसा बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने वहां की जमीनों को अफीम की खेती का केंद्र बनाया। सरकार ने अध्यादेश लाकर उस पर रोक लगाया। उसके बाद से ही वहां खून खराबा चल रहा है।
सभी साधु-संतों ने शांति पाठ के माध्यम से वहां जल्द ही अमन शांति हो इसकी कामना की। वहीं विपक्षी पार्टियों के गठबंधन को लेकर शंकराचार्य ने चोर उचक्को की पार्टी के समान बताया। उन्होंने इसे अराजकता का कारण बताया और कहा कि वे जिन्हें वोट मांगने जा रहे हैं, कर्नाटक के मुद्दे पर मौन हैं। ज्ञानवापी के मामले में शंकराचार्य ने ASI की जांच का जिक्र करते हुए कहा कि वह जान रहे हैं कि यह जांच दूध का दूध पानी का पानी कर देगी। ज्ञानवापी की विभिन्न प्रतिमाओं के साक्ष्य के रूप में मंदिर होने की बात कही और न्यायालय पर भरोसा रखने के साथ वहां और जल्द ही भव्य भगवान शिव का मंदिर बनाने की कामना की।
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