दशाश्वमेध घाट स्थित श्री गंगा मन्दिर में हुई बैठक में कई घाटों के तीर्थ पुरोहितों ने इन दिनों बाहरी अपरिचित डलिया-थरिया जिनका कोई अता-पता नहीं और जिनको घाटों पर या अन्यत्र कहीं भी टीका-चंदन लगाने, दान-दक्षिणा लेने का कोई अधिकार नहीं है। इनकी अचानक बहुतायात संख्या में उपस्थिति पर घोर चिन्ता व्यक्त किया है। बैठक में विचार रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के पश्चात काशी आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में हुई व्यापक वृद्धि के साथ ही अवैध दलालों, गाइडों, वेंडरों, और बाहरी अवांछनीय तत्वों की भरमार हो गई है। जो तीर्थ यात्रियों को भ्रमित करके अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं। इतना ही नही अन्य जनपदों से आए अवैध धोती - कुर्ताधारी हाथों में चंदन टीका का प्लेट लेकर घाटों और मंदिर जाने वाले तीर्थ यात्रियों को जबरन टीका चंदन लगाकर वसूली करते हैं।
वर्तमान में इनकी तादाद इस कदर बढ़ गई है कि दशाश्वमेध समेत अन्य सभी घाटों सहित घाट की सीढ़ियों, सड़कों व श्री काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले सभी मार्गों और गेटों तक इनका साम्राज्य स्थापित हो गया है। नियम की बात की जाए तो गंगा घाटों पर स्नान करके यात्रियों को पूजन-संकल्प-दान व तिलक लगाने का अधिकार सदियों से घाट पुरोहितों का ही रहा है। ऐसे में इन अवांछनीय तत्वों के चलते घाट पुरोहित, तीर्थ पुरोहित की वृत्ति पर कुठाराघात हो रहा है। तीर्थ पुरोहितों और घाट पुरोहितों ने कई बार इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस से की। पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुए इन पर रोक भी लगाई, लेकिन कुछ रोज़ बाद पुनः वही स्थिति कायम हो जाती है वक्ताओं ने शासन-प्रशासन से घाटों पर पीक ऑवर्स में पुलिस ड्यूटी मुस्तैद करने , इन तत्वों को घाटों से खदेड़ने की पुरजोर माँग करते हुए कहा कि जल्द ही पुरोहितों का एक प्रतिनिधि मण्डल उच्चाधिकारियों से मिलकर उन्हें इस समस्या के निवारण करने का अनुरोध करेगा।