प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विप्र समाज एवं शास्त्रार्थ महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में श्रावणी उपाकर्म का भव्य आयोजन अहिल्या बाई घाट पर सम्पन्न हुआ। जिसमें सैकड़ों की संख्या में ब्राह्मण विप्र शामिल हुये। उन्होंने माँ गंगा का जलाभिषेक मंत्रोचार के बीच किया।
बड़ी संख्या में ब्राम्हण व बटुकों ने गंगा में उतर कर पाप अन्याय जाने अनजाने पाप की मुक्ति आने वाले संकट की मुक्ति के लिए पूजन अर्चन किया गया । यह आयोजन श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन किया जाता है।
इसी क्रम मे परंपरा के अनुसार गंगा घाटों पर उपाकर्म का आयोजन किया गया। पूजन में उपस्थित सभी विप्रों ने मंत्रोच्चार के साथ पंचगव्य से स्नान कर भस्म लेपन किया। तुलसी घाट गंगा के तट पर ब्राह्मणों ने श्रावणी उपाकर्म की परंपरा का निर्वहन किया।
कुशा, दुर्वा व अपामार्ग से मार्जन कर ब्राह्मणों ने अंत: और वाह्यकरण की शुद्धि के साथ सूर्य का ध्यान कर तेज की कामना की। इसके पश्चात नूतन यज्ञोपवीत का ऋषि पूजन कर उसे धारण किया गया। श्रावणी उपकर्म द्वारा वर्ष पर्यंत ज्ञात-अज्ञात पापकर्मों के प्रायश्चित के साथ जगत कल्याण की कामना भी की गयी। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा पर राष्ट्र कल्याण के उद्देश्य से श्रावणी उपाकर्म का आयोजन हुआ।