उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को संविदा कर्मचारी संघ ने पत्र भेजकर चिकित्सा संस्थानों, मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मियों का मानदेय बढ़ाने की मांग की है। संविदा कर्मचारी संघ की तरफ से यह भी कहा गया है कि मानदेय बढ़ाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। कम वेतन में अब गुजारा नहीं हो रहा है। उनकी मांगे नहीं मानी जा रही हैं। तो आने वाले चुनाव में आउटसोर्सिंग कर्मी और उनके परिवार मौजूदा सरकार का विरोध कर सकते हैं। दरअसल, संविदा कर्मचारी संघ की तरफ से बताया गया है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के तहत संचालित चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों के मानदेय निर्धारण के लिए कमेटी गठित हुई थी। कमेटी ने अपना प्रस्ताव दो माह पूर्व ही शासन को भेज दिया था। उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
प्रदेश के उच्च चिकित्सा संस्थान केजीएमयू , डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, एसजीपीजीआई तथा कैंसर संस्थान में कुल लगभग 12000 तथा प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों को मिलाकर कुल 20 हजार से अधिक कर्मचारी सभी संवर्ग के कार्यरत है। जिनका पिछले 8 वर्ष से वेतन नहीं बढ़ा है। इससे कर्मचारियों में हीन भावना उत्पन्न हो रही है और वेतन बढ़ोत्तरी का आदेश शासन द्वारा जारी न होने से कर्मचारियों में आक्रोश विद्यमान है बताया जा रहा है कि सभी मेडिकल कॉलेजों और संस्थान के कर्मचारियों की निगाह आने वाली लोकसभा चुनाव पर है सब उम्मीद लगाए है कि चुनाव से पहले सरकार वेतन बढ़ाएगी। ऐसे में अगर वेतन बढ़ोत्तरी नही हुई तो आक्रोशित कर्मचारी एवं उनका परिवार विरोध कर सकते है क्योंकि चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में अन्य विभागों से भी कम वेतन दिया जा रहा है जबकि यह कर्मचारी पूरे प्रदेश को चिकित्सा जैसी महत्वपूर्ण सेवा उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।