देवी कूष्मांडा की छह निशाव्यापी संगीताराधना की दूसरी कड़ी में मां की मनोरम अर्चना दक्षिण भारतीय नृत्यभंगिमाओं से होम्बल दंपति ने की। बुधवार की शाम संगीत महोत्सव का प्रथम पुष्प भरतनाट्यम के साधक डॉ. प्रेमचंद होम्बल और उनकी पत्नी माला होम्बल ने अर्पित किया।
उन्होंने गणेश वंदना से शुरुआत की। दुर्गा स्तुति, संकठा स्तुति से नृत्य को विस्तार देते हुए संगीत रत्नाकर से लिया मालविका कालिदास पर आधारित. नृत्य से विराम दिया। इसके बाद पं राजेंद्र प्रसन्ना ने बांसुरी पर कजरी सहित कई भजनों की धुन मां को अर्पित की। फिर बारी आई एकल तबला वादन की। सपन शिवा की शिष्या रिंपा शिवा ने कायदा, रेला, टुकड़ा बजाते हुए' फर्रुखाबाद घराने की शैली को जीवंत शिवा ने किया। इसके बाद बनारस के कथक कलाकार विशाल कृष्ण ने दुर्गा स्तुति से प्रस्तुति शुरू की। उनके द्वारा भजन पर प्रस्तुत भावपूर्ण नृत्य ने सभी का मन मोह लिया। कन्हैया दुबे के संयोजन में हुई संगीत निशा में पं योगेश समसी के शिष्य मुंबई के यशवंत वैष्णव ने एकल तबला वादन के माध्यम से पंजाब घराने की बानगी पेश की। स्वागत आयुषी द्विवेदी ने किया। संचालन सौरभ चक्रवर्ती ने किया।