भारत विश्व का अकेला ऐसा देश है जो अपनी सभ्यता, संस्कृति, संजीदगी एवं विरासत के साथ साथ विज्ञान एवं तकनीकि के लिए भी जाना जाता है। हाल ही का चन्द्रयान मिशन एक साक्ष्य के रूप में देखा जा सकता है कम समय में अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित कर लेने के दौर में ज्ञान की प्रणालियों में अधिकाधिक सुधार जरूरी है। "यह उद्गार व्यक्त किया स्वामी हरसेवानन्द पब्लिक स्कूल के प्रबन्धक बाबा प्रकाशयानानन्द ने मौका था गड़वाघाट स्थित मुख्य शाखा में विज्ञान एवं गणित क्वीज का। स्वामी हरसेवानन्द पब्लिक स्कूल की पांचो शाखाओं के बीच प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यांकन के उद्देश्य से विज्ञान एवं गणित क्विज आयोजित हुआ।
विद्यालय के प्रेरणा स्रोत हरसेवानन्द महाराज के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर बाबा प्रकाशध्यानानन्द ने क्वीज का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात क्वीज मास्टर मनोहर लाल ने पांचों शाखाओं के बच्चों से चार चक्रो में क्वीज सम्पन्न करायी। परिणामतः जहां सीनियर वर्ग में प्रथम गड़वाघाट शाखा, द्वितीय चुर्क तथा तृतीय स्थान बनपुरवां व घोरावल शाखा ने प्राप्त किया वहीं जूनियर वर्ग में प्रथम गड़वाघाट, द्वितीय चुर्क व बनपुरवां तथा तृतीय स्थान घोरावल शाखा ने प्राप्त किया।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रबन्धक बाबा प्रकाशयानान्द ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए प्रतियोगी बनने तथा भारतीय विज्ञान एवं तकनीकि को अक्षुण्य रखने की अपील की विद्यालय के प्रधानाचार्य चन्द्रशेखर सिंह ने कहा कि बच्चों में भारतीय संस्कृति के संस्कारों के साथ साथ विज्ञान एवं तकनीकि का ज्ञान भी जरूरी है। इस अवसर पर सुनिल तिवारी, अतिन्द्र कुमार सिंह, सुबास सिंह, आशा यादव, योगेश राय, रमेश पाठक सहित समस्त शिक्षकगण उपस्थित रहे।