दुर्गाकुंड स्थित देवी कूष्मांडा के दरबार में मंगलवार की रात जुटे सैकड़ों भक्तों को मां के आंचल तले संगीत की मखमली ध्वनि ने आनंदित किया। प्रथम निशा में पद्मभूषण पं. विश्वमोहन भट्ट और उनके पुत्र सलिल भट्ट की जुगलबंदी प्रमुख आकर्षण रही। समारोह का शुभारंभ पं जवाहरलाल और साथी कलाकारों ने शहनाई की मंगल ध्वनि से की।
कन्हैया दुबे के संयोजन में शुरू हुए आयोजन में पिता-पुत्र पं. विश्वमोहन भट्ट और सलिल भट्ट की जोड़ी ने क्रमशः मोहनवीणा एवं सात्विक वीणा के तार छेड़े। राग जोंग में अलाप से वादन का आरंभ करते हुए इस जोड़ी ने जोड़ और झाला का यादगार वादन किया। राग पहाड़ी भोपाली में धुन से कार्यक्रम को विराम दिया।
इसके बाद बनारस घराने के शुभ महाराज ने एकल तबला वादन किया। अगली कड़ी में डॉ. अर्चना आदित्य म्हस्कर ने रचनाएं सुनाईं। तबला पर सिद्धांत मिश्रा, हारमोनियम पर हर्षित उपाध्याय ने साथ दिया। इस निशा में बीएचयू की डॉ. विधि नागर ने कथक, देवाशीष डे ने शास्त्रीय गायन, आस्था गोस्वामी ने वृंदावनी गायन, राघवेंद्र नारायण ने गिटार वादन किया।
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