लोकभूषण साहित्यकार डॉ जय प्रकाश मिश्र की कौस्तुभ जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पद्मभूषण प्रो0वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि आरण्यक आदिवासी संस्कृति का अध्ययन करना और उसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना निश्चित रूप से एक दुरूह कार्य है। सुखद है कि डॉ जय प्रकाश मिश्र ने आरण्यक आदिवासी संस्कृति की विशद विवेचना की है। मैं उनके शतायु होने की शुभकामनाएं देता हूं। अस्सी स्थित उनके आवास पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ जय प्रकाश मिश्र की पुस्तक "आरण्यक आदिवासी सांस्कृतिक संपदा"का अतिथियों द्वारा विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर उपेन्द्र त्रिपाठी समन्वयक -वेद विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने कहा कि डॉ जय प्रकाश मिश्र निरंतर साहित्य सर्जना में लीन रहते हैं। आदिवासी संस्कृति का अध्ययन उनके विशेष कार्य के रूप में सदैव याद किया जाएगा। आरंभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का संचालन कवि नागेश शांडिल्य ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विनय कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर रंगनाथ मिश्र, प्राणनाथ मिश्र,योगी राकेश पाण्डेय, क्षेत्रीय सभासद रविन्द्र सिंह, अनिल उपाध्याय आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।