श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन व्यास पंडित प्रवीण पाण्डेय महाराज ने बताया की श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। क्योंकि कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है। मुक्ति और भक्ति नही दे सकता है। लेकिन श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है।
इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्यों कि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री सुखदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।वही श्रीमदभवत कथा सुन रहे मुख्य जजमान रामाश्रय पांडे से बात करने पर उन्होंने बताया की व्यास पंडित प्रवीण पाण्डेय जी महाराज के आदेश पर मैं और मेरी पत्नी रीता देवी ने श्रीमद्भागवत कथा करवाने का फैसला किया और आज कथा का तीसरा दिन है हमारे घर परिवार के अलावा हमारे आस पास के क्षेत्रों से भी लोग बड़ी संख्या में आ कर श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कर रहे हैं।