सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मे आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में महाकवि सुब्रमण्यम भारती के जन्म जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता का परिचायक है। विश्व में बोली जाने वाली प्राय: सभी भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है। संस्कृत साहित्य में अखंड भारत का वर्णन मिलता है।देव भाषा संस्कृत के माध्यम से ही भारतीय एकता का संदेश है, संस्कृत भाषा दुनिया में एक ही रूप में प्रयोग किया जाता है।आचार्य शंकर ने चारों दिशाओं में भ्रमण कर मठों को स्थापित कर अखंड भारत का स्वरूप तैयार किया।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि तमिल भाषा में अधिकतर संस्कृत भाषा से युक्त है।अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में कम ही संस्कृत युक्त है,जब हमारी क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण होगा तो भारतीय संस्कृति भी सुरक्षित होगी।सुब्रमण्यम भारती जी ने एक भाषा बोलने और प्रयोग पर महत्वपूर्ण कार्य किया है।विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति एवं तुलनात्मक धर्म दर्शन के विभागाध्यक्ष प्रो रजनीश कुमार शुक्ल रहे। कार्यक्रम के संयोजक प्रो रामपूजन पाण्डेय ने स्वागत करते हुए महाकवि सुब्रमण्यम भारती के जीवन व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न रचनाओं पर प्रकाश डाला। प्रो सुधाकर मिश्र ने सुब्रमण्यम भारती के जीवन पर आधारित साहित्य और योगदान पर प्रकाश डाला कार्यक्रम के प्रारम्भ में मंगलाचरण एवं माँ सरस्वती, सुब्रमण्यम भारती के तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। इस दौरान प्रो रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो रजनीश कुमार शुक्ल, प्रो हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो जितेन्द्र कुमार आदि उपस्थित थे।