भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम 1857 के 58 वर्ष पूर्व में बनारस से ही कान्ति प्रारम्भ हो गई थी। जगतगंज, राजपरिवार के बाबू जगत सिंह ने वजीर अली खॉन के साथ मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी के विरूद्ध रक्तरंजित सशस्त्र विद्रोह किया था। इस अनकहे सच को सामने लाने के लिए प्रकाशित शोध ग्रन्थ "द लास्ट हीरो ऑफ बनारसः बाबू जगत सिंह" का लोकार्पण काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में किया गया। इस अवसर पर इस ग्रन्थ के शोधकर्ता प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता डॉ० एच० ए० कुरैशी, मण्डलायुक्त कौशल राज शर्मा, डॉ० श्रेया पाठक, प्रो० राणा पी० बी० सिंह, प्रो० अवधेश प्रधान, प्रो० दीपक मलिक, प्रो० कमल शील, जगतगंज, राजपरिवार के प्रतिनिधि आदि ने इसका लोकर्पण किया।
कार्यक्रम से पूर्व भारत रत्न महामना पं० मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा पुष्प अर्पित किया गया प्रारम्भ में अनुसंधान समिति के संरक्षक प्रदीप नारायण सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि - लगभग पाँच वर्ष के अथक परिश्रम से यह शोध पुस्तक प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ० एच० ए० कुरैशी एवं डॉ० श्रेया पाठक द्वारा रचित है।
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